खून से लथपथ हालत में मिला था, अमावां तिराहे के पास जंगल में 35 वर्षीय युवक
लखनऊ ,संवाददाता : पुलिस की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। बंथरा थाना क्षेत्र में दर्ज एक युवक की गुमशुदगी को नजरअंदाज करने की कीमत परिजनों को अपने बेटे की मौत के रूप में चुकानी पड़ी। गुमशुदा युवक मरणासन्न हालत में उसी थाना क्षेत्र के अमावां इलाके में मिला, लेकिन शिनाख्त न होने के कारण कृष्णानगर पुलिस ने उसे “अज्ञात शव” मानते हुए पंचनामा भर दिया। सोशल मीडिया पर जानकारी मिलने के बाद परिजन रविवार को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और शव की पहचान की।
यह था मामला
बंथरा के नारायणपुर-फतेहगंज रोड पर अमावां तिराहा के पास जंगल में बीते बुधवार को एक 35 वर्षीय युवक खून से लथपथ हालत में मिला था। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उसे गंभीर अवस्था में लोकबंधु अस्पताल पहुंचाया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को केजीएमयू पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया और “लावारिस शव” मानकर अज्ञात में पंचनामा भर दिया। लोनहा निवासी ओमप्रकाश रावत ने 11 अप्रैल को अपने छोटे भाई कन्हैयालाल की गुमशुदगी रिपोर्ट बंथरा थाने में दर्ज कराई थी। कन्हैया 9 अप्रैल को अपनी पत्नी से मिलने के लिए ससुराल हरौनी गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा। कई दिनों तक कोई जानकारी न मिलने पर परिवार परेशान था। रविवार को सोशल मीडिया पर एक घायल युवक की खबर देख परिजन सतर्क हुए और पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। वहां कन्हैयालाल की शिनाख्त हुई।
परिजनों ने आरोप लगाया कि कन्हैया की पत्नी किरन से पारिवारिक विवाद चल रहा था। बीते शिवरात्रि को झगड़े के बाद पत्नी बच्चों को लेकर मायके चली गई थी। कई बार सुलह की कोशिश के दौरान कन्हैया के ससुरालवालों द्वारा मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी थीं। परिजनों का आरोप है कि ससुराल पक्ष ने कन्हैया की हत्या कर जंगल में फेंक दिया। परिजनों का कहना है कि अगर बंथरा और कृष्णानगर थानों की पुलिस आपस में समन्वय कर गुमशुदगी रजिस्टर चेक करती, तो कन्हैया की पहचान समय रहते हो जाती और तीन दिन तक शव ‘लावारिस’ नहीं पड़ा रहता। ओमप्रकाश ने कहा, “हम 11 अप्रैल को गुमशुदगी दर्ज कराने गए थे, लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि उसी दिन अज्ञात युवक मिला है। यदि पुलिस सतर्क रहती, तो यह अनहोनी टल सकती थी या कम से कम समय पर अंतिम दर्शन हो सकते थे।”