महामंडलेश्वर स्वामी और महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबा गिरि समेत कई संत भी रहे मौजूद
प्रयागराज,संवाददाता : प्रयागराज के संगम की रेती पर आयोजित महाकुंभ में तीन प्रमुख अखाड़ों द्वारा 23 नए महामंडलेश्वर बनाए गए हैं। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं, जो संन्यासिनी के रूप में पिछले 20 वर्षों से जीवन व्यतीत कर रही थीं। जूना अखाड़े ने गुजरात के नाना भाई भरवार समाज से रामानंद गिरि उर्फ रामबाबू को महामंडलेश्वर की उपाधि दी। इसके अलावा, गर्गाचार्य मुचकुंद पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने गुजरात की मनीषा नंद गिरि और स्नेहानंद गिरि को महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया। इन दोनों महिलाओं को महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक सेक्टर 16 स्थित गर्गाचार्य शिविर में किया गया। इस विशेष समारोह में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जगद्गुरु गर्गाचार्य महेंद्रानंद गिरि, और महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबा गिरि समेत कई संत मौजूद रहे।
इसके अतिरिक्त, किन्नर अखाड़ा में भी महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक किया गया। किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के मार्गदर्शन में इस समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें संन्यास दीक्षा की प्रक्रिया शुरू की गई। इस प्रक्रिया में 11 आचार्यों के निर्देशन में पिंडदान कराया गया और इसके बाद संन्यास की दीक्षा दी गई। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश, काशी, वृंदावन, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों के संत शामिल थे। स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि कुल 18 लोगों को महामंडलेश्वर, महंत और अन्य महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिसमें पुरुष, महिलाएं और किन्नर सभी शामिल होंगे। इसके अलावा, पंच दशनाम नागा संन्यासी महानिर्वाणी अखाड़ा में भी दो संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया। इस अवसर पर निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर सदा शिवेंद्रानंद और अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद के साथ-साथ अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी महाराज और यमुना पुरी महाराज भी उपस्थित थे।