हिंडनबर्ग के काम बंद करने के बाद, भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीति तेज हो गई है
नई दिल्ली,संवाददाता : चर्चित अमरीकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने काम को बंद करने का ऐलान किया है, जिससे भारत में सियासी हलचल मच गई है। हिंडनबर्ग के संस्थापक नैट एंडरसन ने गुरुवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि वे जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उन्हें पूरा करने के बाद यह फर्म बंद कर दी जाएगी। यह ऐलान उस वक्त आया है जब अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और नए राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड ट्रंप शपथ लेने जा रहे हैं। हिंडनबर्ग ने 2023 में अदाणी समूह के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे। इस रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, जिससे भारतीय राजनीति में भी भूचाल आ गया था। हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि राहुल गांधी और विपक्षी दलों का एक समूह भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के लिए काम कर रहा है। भाजपा ने इसे राष्ट्रहित के खिलाफ बताते हुए कहा था कि यह आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हैं।
हिंडनबर्ग के काम बंद करने के बाद, भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीति तेज हो गई है। भाजपा ने कहा कि कांग्रेस अब गंभीर राजनीतिक मुद्दों से भटक चुकी है, जबकि कांग्रेस ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सही मानते हुए इस पर विशेष जांच की मांग की है। हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि उन्होंने उन साम्राज्यों को हिलाया जिन्हें हिलाने की आवश्यकता थी, और आरोप लगाया था कि रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और निवेशक जॉर्ज सोरस का भी हाथ था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था और सेबी ने अदाणी समूह को क्लीन चिट दी थी। हालांकि, हिंडनबर्ग का काम बंद करने से यह स्पष्ट नहीं होता कि अदाणी समूह को रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से पूरी तरह से मुक्ति मिल गई है। हिंडनबर्ग के आरोपों पर अभी भी राजनीतिक बयानबाजी और जांच जारी है, और कांग्रेस इस मुद्दे पर जेपीसी की मांग पर अड़ी हुई है। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को साजिश बताते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण और जोड़-तोड़ कर निष्कर्ष पर पहुंचने वाला करार दिया था। वहीं, भाजपा इसे भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की साजिश मानती है।