विशेष रूप से बीए, एमए और बीएड जैसी डिग्रियों वाले युवाओं के लिए उपयुक्त नहीं लगा यह काम
लखनऊ,संवाददाता : उत्तराखंड के राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां 35 कर्मचारियों ने काम छोड़कर घर लौटने का फैसला किया। यह घटना तब हुई जब दून अस्पताल में दिसंबर महीने में 150 पदों पर वार्ड ब्वॉय और आया समेत कुल 366 पदों पर भर्ती शुरू की गई थी। भर्ती प्रक्रिया में दो लॉट में चयनित 84 और 98 कर्मचारियों ने इंटरव्यू पास किया था, लेकिन इनमें से महज 130 ने ज्वाइन किया। इनमें से 35 कर्मचारी काम करने के कुछ ही दिन बाद वापस घर लौट गए, जिसके बाद अस्पताल में केवल 95 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। कर्मचारियों के काम छोड़ने के कारणों में प्रमुख यह है कि उन्हें कार्यों के प्रति रुचि नहीं थी। इन कर्मचारियों को वार्ड में चादर बदलने, दवाइयां और उपकरण लाने, मरीजों को शिफ्ट कराने जैसी भूमिकाओं का सामना करना पड़ा। ये काम उनके लिए अप्रत्याशित थे, जिससे वे संतुष्ट नहीं हो पाए। विशेष रूप से बीए, एमए और बीएड जैसी डिग्रियों वाले युवाओं के लिए यह काम उपयुक्त नहीं लगा।
कुछ कर्मचारियों ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें उनकी योग्यता के अनुरूप काम नहीं मिल रहा था। एक आईसीयू की वार्ड आया को जब डॉक्टर ने फाइल पकड़ी, तो एसएनओ द्वारा चादर बदलने के लिए कहने पर उसने बीएड पास होने की बात कहकर मना कर दिया और फिर वापस ड्यूटी पर नहीं आई। इसी तरह एक वार्ड ब्वॉय को मरीज का सैंपल लेने के लिए वॉयल लेकर आने को कहा गया, लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया कि वह एमए पास है और ऐसा काम करने के लिए यहां नहीं आया है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमएस डॉ. अनुराग अग्रवाल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कई कर्मचारी कुछ दिन काम करने के बाद वापस नहीं आए। उन्होंने बताया कि एजेंसी को कर्मचारियों की काउंसलिंग करने को कहा गया है, ताकि सही कर्मचारी सही कार्य के लिए भेजे जा सकें। इसके अलावा, एक नई सूची 50 कर्मचारियों की भेजी गई है, जिन्हें वार्डों में कार्य आवंटित किया जा रहा है।