पुरुषोत्तम तिवारी के नेतृत्व में मंदिर को मिला नवजीवन

टिकैतनगर (बाराबंकी),संवाददाता : सरयू तट पर स्थित ऐतिहासिक गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, मूर्तिहन घाट पर तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की शुरुआत श्रद्धा, भक्ति और वैदिक परंपराओं के अद्भुत संगम के साथ हुई। मंदिर की पुनर्स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का यह आयोजन समाजसेवी पुरुषोत्तम तिवारी के नेतृत्व में जनभागीदारी का उत्कृष्ट उदाहरण बना। महोत्सव का शुभारंभ मंदिर से निकली विशाल कलश यात्रा से हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सरयू तट तक पहुंची यात्रा वैदिक मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़ों, भक्ति गीतों और जयघोषों से गूंज उठी। कलश स्थापना के बाद पंचांग पूजन, जलाधिवास, अन्नाधिवास सहित अनेक वैदिक अनुष्ठान संपन्न हुए। अयोध्या, वृंदावन व वाराणसी से पधारे विद्वान आचार्यों के नेतृत्व में पूजा-अर्चना संपन्न कराई गई। मुख्य यज्ञाचार्य डॉ. महीधर शुक्ल महाराज ने शिव की उपासना को आत्मिक और सामाजिक शांति का माध्यम बताते हुए युवाओं से धर्म से जुड़ने का आह्वान किया।
मंदिर पुनरुत्थान के सूत्रधार पुरुषोत्तम तिवारी
मंदिर का यह धार्मिक पुनर्जागरण समाजसेवी पुरुषोत्तम तिवारी के संकल्प और सतत प्रयासों का परिणाम है। उपेक्षा की स्थिति में पड़े इस ऐतिहासिक शिवधाम को उन्होंने समाज के सहयोग से पुनर्जीवित किया। नवीन शिखर निर्माण, गर्भगृह मरम्मत, परिसर सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं की सुविधाओं की व्यवस्था सहित हर पहलू में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आयोजन में कालिका प्रसाद तिवारी, अनिल तिवारी, पंकज मिश्रा, राकेश शुक्ला, विकास तिवारी, रिंकू पांडेय, विवेक मिश्रा, लवकुश शर्मा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।
समाज, संस्कृति और सेवा का जीवंत उदाहरण
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में हुआ यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और सेवा का जीवंत उदाहरण बन गया। यह महोत्सव बताता है कि जब समाजसेवी नेतृत्व, श्रद्धालु सहयोग और धार्मिक चेतना एक साथ मिलती है, तो न केवल मंदिर पुनर्जीवित होते हैं, बल्कि समाज को नई दिशा भी मिलती है।