भगवान का अपने भक्तों के प्रति गहरा प्रेम और स्नेह भाव छिपा है
भादर (अमेठी): क्षेत्र के त्रिसुंडी गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक आचार्य अवध नारायण शुक्ला वियोगी जी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनमोहक वर्णन किया।कथावाचक ने कहा कि नन्हे कृष्ण की नटखट और ममतामयी लीलाओं ने गोकुलवासियों के हृदय में विशेष स्थान बनाया। उन्होंने माखन चोरी की लीला का भावपूर्ण चित्रण करते हुए बताया कि यह केवल एक बाल लीला नहीं, बल्कि इसके पीछे भगवान का अपने भक्तों के प्रति गहरा प्रेम और स्नेह भाव छिपा है।

उन्होंने समझाया कि माखन, जो मेहनत और प्रेम का प्रतीक है, भगवान को भोग के रूप में अत्यंत प्रिय था। बालकृष्ण अपने सखाओं के साथ गोपियों के घर माखन चुराने जाते थे, जिससे गोपियों का उनके प्रति प्रेम और भी गहरा हो जाता था। आचार्य जी ने आगे बताया कि भगवान के जन्म के बाद कंस ने उन्हें मारने के लिए अपनी राक्षसी पूतना को भेजा। पूतना ने वेश बदलकर विषैले स्तन से दूध पिलाने का प्रयास किया, किंतु भगवान कृष्ण ने उसे मौत के घाट उतार दिया।

इसके पश्चात उन्होंने गोवर्धन पूजा प्रसंग का वर्णन किया। जब ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा की तैयारी करने लगे तो श्रीकृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का उपदेश दिया। इससे इंद्र क्रोधित होकर भीषण वर्षा करने लगे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। एक सप्ताह बाद इंद्र ने अपनी भूल स्वीकार की और वर्षा बंद की। कथा के दौरान श्रोतागण भक्ति भाव में लीन होकर “जय श्रीकृष्ण” के जयकारे लगाते रहे। इस अवसर पर मुख्य यजमान पंडित जयगोविंद तिवारी सहित अंकित राज उपाध्याय, उमाशंकर तिवारी, हरिओम, श्याम कुमार, अरविंद, संतोष आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।





















