ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
पंचांग विवरण:
- तिथि: त्रयोदशी शाम 05:08 तक, तत्पश्चात चतुर्दशी
- वार: शनिवार
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: उत्तरायण
- ऋतु: ग्रीष्म
- मास: वैशाख
- पक्ष: शुक्ल
- नक्षत्र: चित्रा रात्रि 03:03 तक, तत्पश्चात स्वाती
- योग: सिद्धि (11 मई प्रातः 04:01 तक), तत्पश्चात व्यतीपात
- सूर्योदय: प्रातः 5:26 बजे
- सूर्यास्त: संध्या 6:34 बजे
- राहुकाल: प्रातः 09:00 से 10:30 तक
- दिशाशूल: पूर्व दिशा में
व्रत एवं पर्व विवरण:
- वैशाख शुक्ल त्रयोदशी – विशेष पुण्य तिथि
- वैशाखी पूर्णिमा व्रत – 12 मई को, सत्यनारायण व्रत एवं कथा का संकल्प करें
विशेष जानकारी – व्यतीपात योग:
11 मई रविवार प्रातः 04:01 से 12 मई सोमवार प्रातः 04:38 तक व्यतीपात योग रहेगा। वाराह पुराण के अनुसार इस योग में जप, ध्यान, प्राणायाम, दान, पूजा आदि का फल लाख गुना होता है। विशेषकर सूर्यनारायण की उपासना अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
वैशाख मास की अंतिम तीन तिथियों का महत्व (10, 11, 12 मई):
स्कंदपुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल त्रयोदशी, चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को “पुष्करिणी” कहा गया है।
इन तिथियों में स्नान, दान, व्रत, जप, भागवत श्रवण आदि करने से सम्पूर्ण वैशाख मास का फल प्राप्त होता है।
- त्रयोदशी: भगवान विष्णु ने इस दिन देवताओं को अमृतपान कराया।
- चतुर्दशी: श्री हरि ने दैत्यों का संहार किया।
- पूर्णिमा: देवताओं को साम्राज्य प्राप्त हुआ।
शास्त्रीय प्रमाण:
- “त्रयोदश्यां सुधां देवान्पाययामास वै हरिः।”
- “चतुर्दश्यां सयज्ञाश्च देवा एतान्पुनंति हि।”
- “पूर्णायाः पर्वतीर्थैश्च विष्णुना सह संस्थिताः।”
अनुशंसा:
- इन तिथियों में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान अवश्य करें
- गीता पाठ करने पर प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है
- विष्णुसहस्रनाम पाठ का पुण्य वर्णनातीत है
- भागवत श्रवण करने वाला पापों से मुक्त होता है
- वैशाख पूर्णिमा को सहस्रनाम से मधुसूदन का दूध से अभिषेक करने वाला विष्णुलोक प्राप्त करता है