ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: उत्तरायण
- ऋतु: ग्रीष्म ऋतु
- मास: वैशाख
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: नवमी प्रातः 11:56 तक, तत्पश्चात दशमी
- नक्षत्र: मघा (मूल नक्षत्र) शाम 6:55 तक, तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
- योग: ध्रुव रात्रि 3:15 तक, तत्पश्चात व्याघात
- राहुकाल: अपराह्न 3:00 से 4:30 तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:28
- सूर्यास्त: सायं 6:32
- दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण
- विशेष: नवमी
व्यापार में वृद्धि हेतु उपाय
प्रत्येक रविवार को गंगाजल में अपना प्रतिबिंब देखकर उसमें 21 बार गुरुमंत्र का जप करें। यदि गुरुमंत्र नहीं लिया है तो गायत्री मंत्र जपें। फिर इस जल को व्यापार स्थल की जमीन और सभी दीवारों पर छिड़कें। यह उपाय लगातार सात रविवार तक करें। इससे व्यापार में वृद्धि होगी।
करोड़ों गौदान का फल प्राप्त करने हेतु उपाय
सप्त मोक्षदायिनी नगरियाँ – अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका, पुरी और द्वारका – में विशेष रूप से द्वारका का महत्त्व अत्यधिक है। जो व्यक्ति पश्चिम दिशा की ओर मुख करके द्वारका का स्मरण करते हुए स्नान करता है, उसे करोड़ों गौदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
वास्तु शास्त्र सुझाव
रसोईघर (किचन) में दवाइयाँ रखने की आदत वास्तु के अनुसार अनुचित मानी जाती है। इससे घर के सदस्यों की सेहत में लगातार उतार-चढ़ाव बना रहता है। इसलिए दवाइयों को उचित स्थान पर ही रखें।