बोले सांसद, टीआरपी के लिए मीडिया चैनल बनाते हैं अनैतिक दबाव
दिल्ली ,संवाददाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने एक बड़ा खुलासा किया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में घमासान मच गया है। सिन्हा ने बताया कि एक टीवी डिबेट में एंकर ने उनसे मुसलमानों की दाढ़ी और टोपी पर अपशब्द बोलने के लिए कहा था। उनका कहना था, “आप बहुत शांत रहते हैं, आपको पैनलिस्ट से लड़ना है, शो हिट होगा और हम भी ट्रेंड करेंगे।” इसके बाद राकेश सिन्हा ने उस चैनल पर फिर कभी डिबेट में भाग नहीं लिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है। उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने एक्स अकाउंट पर इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “खुशी है कि राकेश सिन्हा ने बोलने का फैसला किया! वह जो कह रहे हैं वह मीडिया का असली चेहरा है, जहां टीआरपी के लिए नफरत फैलाने की कोशिश की जाती है।” यह खुलासा गंभीर और चिंताजनक है, क्योंकि यह न केवल पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, बल्कि समाज में नफरत और ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास भी करता है। राकेश सिन्हा का यह बयान उन मीडिया चैनलों के लिए एक चेतावनी है जो टीआरपी की होड़ में अनैतिक रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
किया जाए सख्त नियमन:
- निगरानी एजेंसियां: मीडिया पर निगरानी रखने के लिए नियामक एजेंसियों को अधिक सक्रिय और सशक्त बनाया जाए।
- पारदर्शिता: टीवी डिबेट और मीडिया रिपोर्टिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र नियामक संस्था का गठन किया जा सकता है।
- प्रचार के खिलाफ कार्रवाई: ऐसे मीडिया चैनलों और एंकरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए जो जानबूझकर समाज में नफरत फैलाने का प्रयास करते हैं।
- समाज का जागरूक होना: दर्शकों को समझना होगा कि वे टीआरपी के लिए चलाई जा रही नफरत भरी बहसों से दूर रहें और सटीक और जिम्मेदार पत्रकारिता को प्रोत्साहित करें।