सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी और खुफिया इकाइयाँ उस फर्जी अफसर को रोक नहीं सकीं
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को उस समय हड़कंप मच गया जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा की सुरक्षा में गंभीर चूक सामने आई। सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल और पुख्ता इंतजामों के बावजूद एक व्यक्ति खुद को आईआरएस बताकर मुख्यमंत्री के कमरे तक पहुंच गया। हैरानी की बात यह रही कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी और खुफिया इकाइयाँ उस फर्जी अफसर को रोक नहीं सकीं। मामला तब खुला जब बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री को व्यक्ति पर शक हुआ और उन्होंने तत्काल अपने सुरक्षाकर्मियों को सतर्क किया। जांच में पता चला कि वह व्यक्ति दिल्ली निवासी प्रशांत मोहन है, जो UPSC कोचिंग चलाता है और कई बार परीक्षा दे चुका है।
कैसे पहुंचा फर्जी अधिकारी मुख्यमंत्री के कमरे तक
सूत्रों के अनुसार, डॉ. माणिक साहा दो दिवसीय लखनऊ दौरे पर थे और विभूतिखंड स्थित एक पांच सितारा होटल में ठहरे हुए थे। होटल परिसर में लखनऊ पुलिस, एलआईयू (स्थानीय खुफिया इकाई) और त्रिपुरा पुलिस के सुरक्षाकर्मी तैनात थे। बावजूद इसके, रविवार सुबह एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होटल में पहुंचा। गार्डों ने जब पहचान पूछी, तो उसने सहजता से कहा कि वह एडीजी है और मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए आया है। उच्च पद का नाम सुनते ही मौके पर मौजूद जवानों ने उसे सैल्यूट कर दिया और अंदर जाने दिया। फर्जी अधिकारी बिना किसी जांच के मुख्यमंत्री के कमरे तक पहुंच गया और उनसे बातचीत करने लगा।
मुख्यमंत्री को हुआ शक, खुला फर्जीवाड़ा
बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री साहा को उसके व्यवहार पर शक हुआ। उन्होंने कुछ प्रशासनिक सवाल पूछे, जिनका जवाब वह नहीं दे सका। तुरंत सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर व्यक्ति की जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि वह न तो पुलिस विभाग में है और न ही किसी केंद्रीय सेवा में कार्यरत। जैसे ही सच्चाई सामने आई, होटल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मुख्यमंत्री की सुरक्षा टीम ने आरोपी को हिरासत में लेकर विभूतिखंड पुलिस को सौंप दिया।
दिल्ली का निवासी निकला आरोपी, चलाता है UPSC कोचिंग
पुलिस पूछताछ में आरोपी की पहचान प्रशांत मोहन (निवासी दिल्ली) के रूप में हुई। वह दिल्ली में एक UPSC कोचिंग संस्थान चलाता है और खुद भी कई बार परीक्षा दे चुका है, लेकिन हर बार असफल रहा। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने नकली आईडी कार्ड बनाकर होटल स्टाफ को खुद को आईआरएस अधिकारी बताया था। उसके पास से कोई वैध सरकारी पहचान पत्र नहीं मिला।
सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को ‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। ऐसे में यह घटना सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही को उजागर करती है। जानकारों का कहना है कि किसी भी वीआईपी की सुरक्षा में स्थानीय पुलिस, होटल प्रबंधन और इंटेलिजेंस यूनिटों के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक होता है। इस मामले में स्पष्ट है कि पहचान सत्यापन प्रक्रिया में गंभीर चूक हुई है।
मुकदमा दर्ज, जांच जारी
विभूतिखंड थाने के प्रभारी निरीक्षक अमर सिंह ने बताया कि आरोपी प्रशांत मोहन के खिलाफ धोखाधड़ी, पहचान की जालसाजी और सरकारी कर्मचारी का रूप धारण करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। उसे जेल भेज दिया गया है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या आरोपी किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था या मानसिक अस्थिरता या असफलता के कारण यह कदम उठाया। उसकी पृष्ठभूमि, मोबाइल कॉल डिटेल और सोशल मीडिया गतिविधियों की भी जांच चल रही है।
सरकार ने मांगी रिपोर्ट
घटना की जानकारी मिलते ही त्रिपुरा सरकार और उत्तर प्रदेश गृह विभाग में हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने लखनऊ पुलिस और स्थानीय प्रशासन से पूरी रिपोर्ट तलब की है। उधर डीजीपी कार्यालय ने भी लखनऊ पुलिस से पूछा है कि आखिर फर्जी अधिकारी होटल में कैसे घुस गया और सुरक्षा घेरा क्यों नहीं सक्रिय हुआ। एलआईयू और होटल स्टाफ के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।























