ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
दिनांक: 29 जनवरी 2025
दिन: बुधवार
विक्रम संवत: 2081
शक संवत: 1946
अयन: उत्तरायण
ऋतु: शिशिर ऋतु
मास: माघ
पक्ष: कृष्ण
तिथि: अमावस्या (शाम 06:28 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा)
नक्षत्र: उत्तराषाढा (सुबह 08:40 तक, तत्पश्चात श्रवण)
योग: सिद्धि (रात्रि 10:25 तक, तत्पश्चात व्यतीपात)
राहुकाल: दोपहर 12:00 से 01:30 तक
सूर्योदय: 06:36
सूर्यास्त: 05:24
दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण:
- दर्श अमावस्या, माघ अमावस्या, मौनी-त्रिवेणी अमावस्या, महाकुंभ प्रयाग का द्वितीय प्रमुख शाही स्नान, व्यतीपात योग।
विशेष: अमावस्या
गुप्त नवरात्रि
माघ मास, शुक्ल पक्ष की प्रथम नौ तिथियाँ गुप्त नवरात्रियाँ होती हैं, जिनकी शुरुआत 30 जनवरी 2025, गुरुवार से हो रही है। एक वर्ष में कुल चार नवरात्रियाँ आती हैं, जिनमें से दो सामान्य नवरात्रियाँ और दो गुप्त नवरात्रियाँ होती हैं।
शत्रु को मित्र बनाने के लिए
नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने और शत्रुओं को मित्र बनाने के लिए मंत्र सिद्धि का योग होता है। नवरात्रि में स्नानादि से निवृत्त हो तिलक लगाकर और दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र ‘हूं’ या ‘अं रां अं’ मंत्र की इक्कीस माला जप करे और ‘श्री गुरुगीता’ का पाठ करे, तो शत्रु भी मित्र बन जाते हैं।
माताओं और बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण प्रयोग
जिन माताओं और बहनों को दुःख और कष्ट अधिक सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलाएं और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें। पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें: “अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले” इस उपाय से उनके कष्टों का जल्दी निवारण होता है।
माताओं और बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण प्रयोग
माघ मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन बिना नमक-मिर्च का भोजन करें (जैसे दूध, रोटी या खीर)। मंत्र: “ॐ ह्रीं गौरये नमः” मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें। गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ और रोटी खिलाएं।
श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु
नवरात्रि में देवी के विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ की प्राप्ति होती है। मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह्”
विद्यार्थियों के लिए
प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रखकर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे दिन तीन दिन तक विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें। इससे उन्हें विद्या में सफलता मिलती है। बुद्धि व ज्ञान का विकास करने के लिए सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें और जिनको गुरुमंत्र मिला है, वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का और सूर्यनारायण का ध्यान करें। इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें।