दागी कंपनियों के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं सफाई में सुधार की बात करने वाले पार्षद
लखनऊ,संवाददाता : शहर में सफाई की स्थिति में लगातार हो रही लापरवाही ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। पहले लॉयन सिक्योरिटी कंपनी को 55 वार्डों में सड़क और नालियों की सफाई का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन कंपनी ने सफाई में लापरवाही बरती और नगर निगम ने उसे दागी घोषित कर दिया। इसके बावजूद, कंपनी के संचालक ने अपनी दूसरी फर्म, लॉयन इनवायरो, के जरिए शहर के 33 वार्डों में रोड स्वीपिंग, डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन और कूड़ा प्लांट तक कूड़ा पहुंचाने का काम हासिल कर लिया।
नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत की वजह से यह कंपनी सफाई का जिम्मा दोबारा पा गई। इस समय इन दोनों कंपनियों के पास लखनऊ के 88 वार्डों में सफाई की जिम्मेदारी है, जहां लगभग 6,000 सफाईकर्मियों की तैनाती का दावा किया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि न तो गलियों में झाड़ू लगती है, न ही नालियों की सफाई होती है। सफाईकर्मी गलियों में कूड़ा डालने या कूड़े के ढेर में आग लगाने को मजबूर हैं।
लॉयन सिक्योरिटी कंपनी पर पहले भी आरोप लग चुके हैं कि इसके संचालक और नगर निगम के अधिकारियों के बीच मिलीभगत से सफाईकर्मियों की संख्या आधी दिखाकर पूरी का भुगतान लिया जाता है। इसके बावजूद, नगर निगम कई बार सफाई में लापरवाही पर नोटिस और भुगतान में कटौती करता है, लेकिन सफाई की जिम्मेदारी फिर से उन्हीं कंपनियों को दी जाती है। इस स्थिति पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। सफाई में सुधार की बात करने वाले पार्षद भी दागी कंपनियों के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं, जबकि अन्य कंपनियों को सफाई का काम देने पर विरोध करते हैं। नगर निगम ने अब तक सफाई में लापरवाही को लेकर कंपनियों के भुगतान में 40 प्रतिशत कटौती की है और सफाईकर्मियों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। अगर सुधार नहीं हुआ तो कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।