पर्व को सही ढंग से मनाकर, हम अपने जीवन में प्रेम, भक्ति और शांति का कर सकते हैं अनुभव
डॉ उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : होली एक विशेष अवसर है, जिसमें न केवल रंगों का उत्सव मनाया जाता है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक, तांत्रिक और यान्त्रिक महत्व भी है। यह समय उन दिव्य शक्तियों के साथ जुड़ने का है, जो हमें आंतरिक शांति, शुद्धता और समृद्धि प्रदान कर सकती हैं।
आध्यात्मिक महत्व
अहंकार का नाश (प्रह्लाद और होलिका की कथा)
होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भक्त प्रह्लाद की भक्ति और होलिका के जलने की कथा हमें यह सिखाती है कि, यदि व्यक्ति का विश्वास ईश्वर में दृढ़ हो, तो वह किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या बाधाओं से प्रभावित नहीं होता। होलिका दहन के समय बुराई को जलाकर आत्मा की शुद्धि का संदेश मिलता है।
दिव्य रंगों का महत्व
रंगों का उपयोग हमारी सुक्ष्म चेतना को जागृत करने और आंतरिक ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक होता है। होली के रंग, जैसे लाल, पीला, हरा और नीला, हमारे चक्रों को सक्रिय करते हैं, जिससे शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
भक्ति और निःस्वार्थ प्रेम का पर्व
होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। यह प्रेम, माधुर्य और भक्ति का पर्व है, जो हमें अहंकार को छोड़कर प्रेम, क्षमा और सौहार्द की भावना अपनाने का संदेश देता है।
सहज तांत्रिक, यान्त्रिक और तंत्र साधना का महत्व
होली की रात विशेष रूप से तांत्रिक, यान्त्रिक जप, तप, प्रार्थना और अनुष्ठान के लिए प्रभावी मानी जाती है। यह रात तांत्रिक सिद्धियों, विशेष यंत्र-तंत्र क्रियाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश
होलिका दहन के समय यदि विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाए, तो नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं और बुरी नजर से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
सहज तंत्र साधना का प्रभाव
होली की रात को तांत्रिक साधक महाविद्याओं जैसे बगला, तारा, काली, श्री लक्ष्मी नारायण, भुवनेश्वरी, दुर्गा आदि की साधना करते हैं। यह रात सिद्धियों की प्राप्ति के लिए अत्यधिक शक्तिशाली मानी जाती है।
गुप्त तंत्र क्रियाएं
होली की रात को कुछ तांत्रिक साधक विशेष मंत्रों, यंत्रों और तंत्र विधियों का उपयोग करके अपने कार्यों की सिद्धि करते हैं, जैसे शत्रु बाधा निवारण, धन प्राप्ति, वशीकरण और रोगों से मुक्ति।
उपासना और साधना के लिए विशेष उपाय
होली के दिन कुछ विशेष उपाय और साधनाएं की जाती हैं जो आध्यात्मिक उत्थान और तांत्रिक सिद्धियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
विशेष उपासना विधियां:
- श्री यंत्र या श्री लक्ष्मी नारायण यंत्र को पूजा में स्थापित करके संबंधित मंत्र का जाप किया जाता है। इससे भाग्य का उदय होता है और सोया हुआ दुर्भाग्य जागृत होता है।
श्री लक्ष्मी नारायण मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्लीं क्रीं स्त्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायणाभ्यं नमो नमः”
श्री यंत्र मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्लीं क्रीं स्त्रीं ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमो नमः”
दिव्य श्रीयंत्र मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं क्रीं ह्लीं स्त्रीं ॐ नमो भगवते श्री-निवासाया, महा-विष्णु रुपयाए महालक्ष्मी भूमि-साहित श्री वेंकटेश्या ऊँ स्त्रीं हिलीम् क्रीं क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं ऊँ नमो नमः”