कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता, जिनका नाम वसीयत में आने पर सब हैं हैरान
मुंबई,संवाददाता : भारत के प्रतिष्ठित कारोबारी और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की हाल ही में खोली गई वसीयत ने सभी को चौंका दिया है। वसीयत में मोहिनी मोहन दत्ता नाम के एक रहस्यमयी व्यक्ति का जिक्र किया गया है, जिसे रतन टाटा ने अपनी बची हुई संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा दिया है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹500 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। दत्ता का वसीयत में नाम आना टाटा परिवार के लिए एक बड़ा आश्चर्य था, क्योंकि रतन टाटा ने हमेशा अपनी निजी जिंदगी को गोपनीय रखा था। वसीयत में दत्ता के शामिल होने के बाद से तरह-तरह की चर्चाएँ शुरू हो गईं हैं। द इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, जमशेदपुर के एक कम पहचानने जाने वाले उद्यमी मोहिनी मोहन दत्ता को रतन टाटा ने अपनी वसीयत में ₹500 करोड़ से अधिक की संपत्ति दी थी, जो सबके लिए हैरान करने वाली बात थी।
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रतन टाटा और दत्ता की दोस्ती:
मोहिनी मोहन दत्ता की रतन टाटा से पहली मुलाकात 1960 के दशक की शुरुआत में जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में हुई थी। उस समय रतन टाटा केवल 24 वर्ष के थे और अपने व्यापारिक सफर की शुरुआत कर रहे थे। इस मुलाकात ने दोनों के जीवन को एक नई दिशा दी और उनकी दोस्ती गहरी होती चली गई। दत्ता ने ताज समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की और बाद में स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी की स्थापना की, जो बाद में ताज होटल्स के साथ मिल गई। इसके बाद उन्होंने टीसी ट्रैवल सर्विसेज़ की स्थापना की और टाटा समूह की कंपनियों के शेयरों के मालिक बने।
वसीयत में अन्य विवरण:
रिपोर्टों के अनुसार, वसीयत में दत्ता को टाटा की संपत्ति के एक तिहाई हिस्से का हकदार बताया गया है, जिसमें ₹350 करोड़ से अधिक की बैंक जमा राशि, पेंटिंग्स, घड़ियाँ और अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं की नीलामी से प्राप्त आय भी शामिल है। शेष संपत्ति टाटा की सौतेली बहनों शिरीन जीजीभॉय और डीनना जीजीभॉय को दी गई है, जो वसीयत के निष्पादक भी हैं।
अगले कदम और वसीयत की वैधता:
वसीयत के अनुसार, रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा और उनके बच्चों का नाम इसमें नहीं है, जबकि जिमी टाटा को ₹50 करोड़ की राशि दी गई है। अब यह वसीयत बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोबेट की प्रक्रिया का इंतजार कर रही है, और इसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह वसीयत सही है? क्या दत्ता के रिश्ते और योगदान को सही तरीके से पहचाना गया है? इन सवालों का जवाब अब अदालत से मिलेगा, लेकिन फिलहाल यह वसीयत एक बड़ा रहस्य बनी हुई है।