70 विधानसभा सीटों के लिए पांच फरवरी को होगा मतदान,आठ फरवरी को घोषित होंगे नतीजे
दिल्ली,संवाददाता : दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा और आठ फरवरी को नतीजे घोषित होंगे। जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है, वहीं भाजपा भी अपनी रणनीतियों पर काम कर रही है। इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है, जिसमें कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी मुख्य रूप से मैदान में हैं। दिल्ली चुनाव 2025 में ‘एम’ फैक्टर यानी मुस्लिम वोटों का प्रभाव काफी अहम साबित हो सकता है। दिल्ली में लगभग सात सीटें ऐसी हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं, और इन सीटों पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की नजर है। ये सीटें हैं: मटिया महल, बाबरपुर, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक और बल्लीमारान। 13 जनवरी को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली के सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में एक रैली की। इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों का विशेष प्रभाव है और एक समय दिल्ली में मुस्लिम वोट कांग्रेस के पक्ष में होते थे, लेकिन बाद में ये वोट आम आदमी पार्टी के पास चले गए। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मतीन अहमद को इस सीट पर 15.61 प्रतिशत वोट मिले थे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी को मुस्लिम वोटों के छिटकने का डर सता रहा है। दरअसल, 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के बाद मुस्लिम वोटर आम आदमी पार्टी से नाराज हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी इस मुद्दे पर मूक दर्शक बनी रही थी। इसके अतिरिक्त, आम आदमी पार्टी का हिंदुत्व की ओर झुकाव भी उसके लिए समस्या बन सकता है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रुपये देने की घोषणा की, लेकिन मौलवियों को 17 महीने से वेतन नहीं मिला है, जिस पर मौलवियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। दिल्ली विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी अपनी एंट्री कर ली है। ओवैसी की नजर भी मुस्लिम बहुल सीटों पर है, और उन्होंने मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन और करावल नगर से इशरत जहां को प्रत्याशी बनाया है। दिल्ली दंगों के दौरान ताहिर हुसैन का नाम काफी चर्चा में आया था, और अब ओवैसी उनकी उम्मीदवारी के साथ इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि एआईएमआईएम दिल्ली की सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है, लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर उसकी मौजूदगी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। इन सीटों पर ओवैसी की पार्टी का खेल इन दोनों प्रमुख दलों के वोटों को प्रभावित कर सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मुस्लिम फैक्टर एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है, और इसका असर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।