आप ने 2020 में दिल्ली की सभी 12 अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों पर हासिल की थी जीत
नई दिल्ली,संवाददाता : दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी ने अपना जनाधार फिर से पाने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। पार्टी ने विशेष ध्यान दलित समुदाय पर केंद्रित करने का निर्णय लिया है, जिनका वोट दिल्ली में चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाता है।
दरअसल, दिल्ली की चार अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है और दलितों की अच्छी खासी आबादी वाली सीटों पर पार्टी का वोट प्रतिशत भी घटा है। इसे देखते हुए पार्टी ने एक वैचारिक आउटरीच अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है, जो डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों की विरासत पर केंद्रित होगा।
आम आदमी पार्टी की नई रणनीति
आम आदमी पार्टी ने 2020 में दिल्ली की सभी 12 अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार इनमें से चार सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इन सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन भी प्रभावित हुआ है, इसलिए अब पार्टी दलित वोटों को फिर से अपने पक्ष में करने के लिए काम कर रही है। इस उद्देश्य के लिए पार्टी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित करने का ऐलान किया है।
गोपल राय की पहल
आम आदमी पार्टी के दिल्ली राज्य संयोजक गोपाल राय ने सोमवार को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद इस अभियान की घोषणा की। उन्होंने कहा, “पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को वैचारिक रूप से मजबूत होना चाहिए, और यह कार्यक्रम उन्हें इस दिशा में मदद करेगा। यह कार्यक्रम पार्टी का दिल्ली चुनाव के बाद पहला बड़ा आयोजन होगा, जिसका उद्देश्य कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को एक साथ लाना है।”
कार्यक्रमों की सूची
गोपाल राय ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 23 मार्च को “एक शाम शहीदों के नाम” कार्यक्रम से होगी, जिसमें शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को याद किया जाएगा। इसके बाद 14 अप्रैल को डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती पर एक और कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अभियान के तहत पार्टी की योजना इसे सभी विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचाने की है। उन्होंने कहा, “हम स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों के विचारों को विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए हमारे कार्यकर्ताओं और लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।” इस अभियान के माध्यम से आम आदमी पार्टी दलित समुदाय में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने का प्रयास करेगी और चुनावी लड़ाई में मजबूती से अपनी स्थिति स्थापित करने की कोशिश करेगी।