2011 में शुरू हुआ था यह मामला, याचिकाकर्ता ने अवैध बंगलादेशी प्रवासियों की दुर्दशा पर डाला था प्रकाश
नई दिल्ली,संवाददाता : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से अवैध बंगलादेशी प्रवासियों को उनके देश भेजने के बजाय सुधार गृहों में लंबी अवधि तक हिरासत में रखने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत दोषी ठहराए गए अवैध बंगलादेशी प्रवासियों को उनकी सजा पूरी होने के तुरंत बाद निर्वासित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। पीठ ने पूछा, “विदेशी अधिनियम के तहत सजा पूरी करने के बाद वर्तमान में कितने अवैध प्रवासियों को सुधार गृहों में हिरासत में रखा गया है?” अदालत ने यह भी चिंता जताई कि लगभग 850 अवैध प्रवासियों की अनिश्चितकालीन हिरासत जारी है, जबकि 2009 के परिपत्र में निर्वासन प्रक्रिया को 30 दिनों में पूरा करने का आदेश दिया गया था। साथ ही, न्यायालय ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। यह मामला 2011 में शुरू हुआ जब एक याचिकाकर्ता ने अवैध बंगलादेशी प्रवासियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला था, जिन्हें सजा पूरी होने के बावजूद पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में रखा गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था, और अब यह सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित हो चुका है। पीठ ने कहा कि ये प्रथाएं मौजूदा दिशा-निर्देशों के खिलाफ हैं, जो निर्वासन प्रक्रिया को जल्दी पूरा करने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी 2025 को होगी। गौरतलब है कि इसी तरह की चिंता असम में अवैध प्रवासियों की अनिश्चितकालीन हिरासत को लेकर भी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने व्यक्त की थी।