ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र
प्रयागराज,संवाददाता : एक महत्वपूर्ण और पवित्र आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसे प्राचीन काल से तीर्थराज प्रयागराज में शास्त्रों के अनुसार निभाया जा रहा है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से माघ माह में आयोजित होती है, जो पौष माह के 11वें दिन से लेकर माघ माह के 12वें दिन तक होती है। कुछ श्रद्धालु माघ पूर्णिमा तक भी कल्पवास करते हैं।कल्पवास केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होने का एक मार्ग है। जो लोग इस दौरान मन, वचन और क्रिया से पवित्र रहते हैं, उन्हें पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कल्पवास का महत्व:
कल्पवास का अर्थ है संगम के तट पर निवास करना, वेदाध्ययन करना और ध्यान लगाना। प्रयाग कुम्भ मेले में इसकी विशेष महत्ता मानी जाती है। इसमें साधक तप, होम और दान करके आत्मशुद्धि प्राप्त करते हैं।
प्राचीन परंपरा:
प्राचीन काल में प्रयागराज में घना जंगल हुआ करता था, और यह स्थान ऋषियों और मुनियों के तप का केंद्र था। यहां भगवान ब्रह्मा ने यज्ञ भी किया था। इस तपोभूमि में अब तक कुंभ और माघ माह के दौरान कल्पवास की परंपरा लगातार चल रही है।
कल्पवास के नियम:
कल्पवास के दौरान श्रद्धालु पर्ण कुटी (झोपड़ी) में रहते हैं, जहां वे दिन में एक ही बार भोजन करते हैं और मानसिक रूप से धैर्य, अहिंसा, और भक्तिभाव से भरे रहते हैं।
पद्म पुराण में उल्लेख:
पद्म पुराण में कहा गया है कि संगम तट पर निवास करने वाला व्यक्ति शुद्ध चरित्र वाला, शांत मन वाला और जितेन्द्रिय होना चाहिए। कल्पवास में जाने वाले श्रद्धालुओं का मुख्य कार्य होता है- तप, होम, और दान।
कल्पवास का फल:
मान्यता है कि जो श्रद्धालु कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है, वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है। इसके अलावा, जो मोक्ष की कामना से कल्पवास करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माघ माह का महत्व:
माघ माह में प्रयागराज में तीन बार स्नान करने से जो पुण्य मिलता है, वह पृथ्वी पर दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता। माघ माह में प्रयाग में स्नान करने का विशेष महत्व है, और यह समय भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, और रुद्र के साथ-साथ आदित्य और मरूद्गण के आगमन का भी समय होता है।
प्रयागराज का विशेष महत्व:
प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, और यही वह स्थान है जहां सभी तीर्थों के पुण्य का संगम होता है। इस स्थान पर स्नान और साधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।