किसानों और उपभोक्ताओं की भी होगी भागीदारी
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज़ होता जा रहा है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने घोषणा की है कि 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल की जाएगी, जिसमें बिजलीकर्मियों के साथ-साथ किसान संगठन और उपभोक्ता मंच भी सक्रिय भागीदारी करेंगे।
एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने सोमवार को बताया कि रविवार को लखनऊ में आयोजित ‘बिजली महापंचायत’ में यह निर्णय लिया गया कि दो जुलाई को प्रदेश भर के बिजलीकर्मी विरोध प्रदर्शन करेंगे और उसी दिन से निजीकरण के विरोध में काम का बहिष्कार शुरू करेंगे। इस दिन राज्य के सभी 27 लाख बिजली कर्मचारी सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे।
महापंचायत में पंजाब समेत देशभर की प्रमुख यूनियनों, राज्य संघों और किसान संगठनों ने भाग लिया। इससे यह साफ हो गया कि देशभर में बिजली क्षेत्र के निजीकरण को लेकर व्यापक चिंता है। एआईपीईएफ के मीडिया सलाहकार वी. के. गुप्ता ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी प्रबंध निदेशक रमानाथ झा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विशाल सभा को संबोधित किया।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उपभोक्ताओं की समस्याएं मंच पर रखीं। सभा में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज ऑफ इंडिया के महासचिव सुदीप दत्ता, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के डी.के. अरोड़ा, और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वाई.एस. लोहित सहित कई प्रमुख वक्ता मौजूद थे। शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यह विरोध अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है और सभी संगठन बिजली वितरण के निजीकरण का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। साथ ही यह मांग भी उठाई गई कि यूपीपीसीएल द्वारा कर्मचारियों के साथ किए गए सभी उत्पीड़न को तुरंत रोका जाए और पूर्व में हुए सभी समझौतों को सख्ती से लागू किया जाए।