ओबीए और अन्य स्थानीय बार एसोसिएशन ने किया काम से दूर रहने का निर्णय
लखनऊ,संवाददाता : अवध बार एसोसिएशन (ओबीए) और अन्य स्थानीय बार एसोसिएशन के वकीलों ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम 1961 में लाए जा रहे प्रस्तावित संशोधन के विरोध में विभिन्न अदालतों में न्यायिक कार्य से दूर रहने का निर्णय लिया।
ओबीए अध्यक्ष आरडी शशि की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में वकीलों ने न केवल प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ अपनी असहमति जताई, बल्कि उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी और मुकदमों को सूचीबद्ध करने में आने वाली कठिनाइयों पर भी चिंता व्यक्त की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वकील इन मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अदालतों में काम से दूर रहेंगे। सेंट्रल बार एसोसिएशन (सीबीए) के अध्यक्ष अरविंद कुशवाहा ने भी इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीबीए ने एक बैठक आयोजित की, जिसमें उप्र बार काउंसिल के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए प्रस्तावित संशोधन के विरोध में और अन्य मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए अदालती कार्य से दूर रहने का निर्णय लिया गया।
वकीलों का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन से उनके पेशेवर अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, और इसके परिणामस्वरूप न्यायिक व्यवस्था में सुधार की बजाय अधिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वकील इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाने के लिए एकजुट हो गए हैं और उन्होंने अपने काम से दूर रहने का निर्णय लिया है, ताकि उनकी मांगों को प्रभावी रूप से सुना जा सके।