कांग्रेस लगातार कर रही अमित शाह से इस्तीफे की मांग
गौरीगंज,संवाददाता : 18वीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा संविधान और उसके निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का अपमान किए जाने से संसद का इतिहास एक विवादास्पद मोड़ पर पहुंच गया है। बीजेपी ने न केवल संविधान के पचहत्तर वर्ष पूरे होने पर होने वाली चर्चा को टालने का प्रयास किया, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के दलों ने सरकार से संविधान पर चर्चा करने की मांग की थी, लेकिन जब अडानी, मणिपुर, संभल जैसे मामलों पर बहस की मांग को लगातार ठुकराया गया, तो विपक्ष की संविधान पर चर्चा की मांग को स्वीकार किया गया। इस दौरान कांग्रेस और अन्य दलों ने सरकार को लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता याद दिलाई और बाबा साहेब के आदर्शों पर चलने की सलाह दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा, “अब एक फैशन हो गया है अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर… अगर भगवान का नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” इस बयान ने डॉ. अंबेडकर के अपमान के रूप में व्यापक आलोचना का सामना किया। इसके बाद, कांग्रेस और विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है। बीजेपी ने संसद की कार्रवाई को ठप कर दिया, और कांग्रेस सांसदों के साथ धक्कामुक्की की, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गिरा दिया गया। कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया है, जब तक अमित शाह अपने पद से इस्तीफा नहीं देते।