ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
दिन: बुधवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
ऋतु: ग्रीष्म
मास: वैशाख
पक्ष: कृष्ण
तिथि: दशमी (आज दोपहर 11:34 बजे तक), तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र: धनिष्ठा (सुबह 7:24 बजे तक), तत्पश्चात शतभिषा
योग: शुक्ल (दोपहर 2:43 बजे तक), तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल: दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
सूर्योदय: प्रातः 5:36 बजे
सूर्यास्त: संध्या 6:24 बजे
दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत पर्व: पंचक
विशेष: एकादशी का व्रत कल, 24 अप्रैल को रखें। पारण 25 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 9:00 बजे से पहले करे।
एकादशी व्रत के लाभ: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति नियमित रूप से एकादशी व्रत करता है, वह जीवनभर सुखी और धनवान रहता है।
- पापों से मुक्ति एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान शिव ने नारद से कहा है: “एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है”
- धन-धान्य की वृद्धि इस व्रत से घर में सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य की वृद्धि होतीहै।
- कीर्ति और श्रद्धा में वृद्धि एकादशी का व्रत करने से कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनताहै।
- पितरों की प्रसन्नता जो एकादशी का व्रत करते हैं, उनके पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं
एकादशी के दिन करने योग्य कार्य
- व्रत का संकलप: एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजाकरें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पठ: यदि संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। यदि सहस्त्रनाम नहीं है, तो 11 माला भगवान विष्णु, रामचंद्र जी या कृष्ण जी के मंत्र का जापकरें।
- दीप जलाा: पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और भगवान की आराधनाकरें।
- दन: यदि संभव हो तो एकादशी के दिन दान करें। गंगा स्नान करें और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दानकरें।
एकादशी के दिन सावधानियाँ
- रात्रि जगरण: एकादशी के दिन रात्रि को जागरण करें और भगवान विष्णु की भक्ति में समयबिताएं।
- सात्विक हार: व्रत के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें। मांसाहार, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल आदि का सेवनन करें।
- झगड़े से चें: घर में झगड़े होते हों, तो झगड़े शांत हों, ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्रनाम का पठ करें।
- सत्य बलें: एकादशी के दिन सत्य बोलें और क्रोध बचें।