ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा की राजनीति में जताई जा रही है नई दिशा की संभावना
कनाडा : प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। करीब नौ वर्षों तक प्रधानमंत्री रहने के बाद उनका इस्तीफा पार्टी और देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। ट्रूडो पर देश की आर्थिक स्थिति और रोजगार संकट के साथ ही भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकियों को समर्थन देने के आरोपों को लेकर आलोचनाएं बढ़ रही थीं। इसके अलावा, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अतिरिक्त कर लगाने की घोषणा और पार्टी में बढ़ते आंतरिक असंतोष ने भी उनकी स्थिति को कमजोर किया। ट्रूडो ने कहा कि वह लिबरल पार्टी के नए नेता का चुनाव होने तक पद पर बने रहेंगे। हालांकि, पार्टी अब एक अंतरिम नेता का चयन करेगी और जल्द ही एक विशेष नेतृत्व सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रही है। इस बीच, कनाडा में इस साल चुनाव होने की संभावना भी बढ़ गई है।
हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, ट्रूडो की लोकप्रियता में लगातार गिरावट देखी गई है। 31 दिसंबर को प्रकाशित एक सर्वे में 50 प्रतिशत से अधिक लोग कंजर्वेटिव पार्टी को पसंद करते दिखाई दिए, जबकि ट्रूडो को केवल 17.4 प्रतिशत समर्थन मिला। हाल ही में हुए इप्सोस पोल में भी 73 प्रतिशत लोग मानते थे कि ट्रूडो को इस्तीफा देना चाहिए। ट्रूडो और उनकी उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के बीच मतभेदों के कारण पार्टी में असंतोष बढ़ा था। खासकर, ट्रंप के टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव पर उनके बीच टकराव हुआ। इसके बाद क्रिस्टिया ने इस्तीफा दे दिया, जिससे ट्रूडो की स्थिति कमजोर हो गई। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा की राजनीति में नई दिशा की संभावना जताई जा रही है, जहां लिबरल पार्टी को एक नया नेतृत्व चुनने की आवश्यकता होगी।