बेटियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है सिस्टम
छत्तीसगढ़,संवाददाता : छत्तीसगढ़ के रायपुर में जहां सरकार की ओर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे लगाए जाते हैं, वहीं असलियत यह है कि सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। हाल ही में जारी यूनिफाइड डिस्ट्रीक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 4,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग वॉशरूम नहीं हैं। इससे छात्राओं को पांच से छह घंटे स्कूल में बिताना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति एक प्रकार से छात्राओं पर अत्याचार मानी जा सकती है, क्योंकि इससे शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव भी उत्पन्न होते हैं। कई स्कूलों में गर्ल्स और बॉयज के लिए एक ही टॉयलेट है, जिससे छात्राएं रोज शर्मसार होती हैं।
देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में छत्तीसगढ़ की स्थिति इस मामले में 12वें नंबर पर है, जहां लड़कियों के लिए टॉयलेट की भारी कमी है। राज्य में कुल 56,615 स्कूलों में से 54,715 में लड़कियों के लिए टॉयलेट हैं, लेकिन उनमें से केवल 52,545 ही उपयोग के योग्य हैं। छात्रों के लिए भी यही स्थिति है; 53,142 स्कूलों में टॉयलेट हैं, लेकिन केवल 49,355 चलने योग्य हैं। इससे यह स्पष्ट है कि 4,070 स्कूलों में लड़कियों के लिए और 7,260 स्कूलों में लड़कों के लिए टॉयलेट नहीं हैं। यह स्थिति छात्राओं को स्कूल छोड़ने या स्कूल न जाने के लिए मजबूर कर रही है। खासतौर पर किशोरावस्था में मासिक धर्म शुरू होने पर टॉयलेट की अनुपलब्धता के कारण लड़कियां स्कूल में अनुपस्थित रहती हैं, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित होती है। इसके अलावा, टॉयलेट की कमी के कारण लड़कियों को असुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। यह समस्या राज्य के शिक्षा तंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, और इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।