सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए क्या हो सकते हैं मुख्य कदम
नई दिल्ली,संवाददाता : केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले बजट 2025-26 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियों और उनकी विकास संभावनाओं पर चर्चा एक बार फिर से गर्म है। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (PwC) की हालिया रिपोर्ट में इस क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं और समाधान की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया गया है।
एमएसएमई क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियां
- औपचारिकता की कमी और सरकारी सहायता से वंचितता:
भारत के अधिकांश एमएसएमई क्षेत्र में कंपनियां पंजीकरण से बाहर हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं और समर्थन का लाभ नहीं मिल पाता है। यह अनौपचारिकता उनके विकास के लिए बड़ी बाधा बनती है। - क्रेडिट तक सीमित पहुंच और उच्च उधारी लागत:
एमएसएमई के पास अक्सर क्रेडिट इतिहास का अभाव होता है और वे संपार्श्विक (कॉलेटरल) प्रदान करने में असमर्थ होते हैं, जिसके कारण उन्हें ऋण प्राप्त करने में समस्या आती है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरों और सीमित चुकौती क्षमता से उनका कार्यशील पूंजी प्रबंधन प्रभावित होता है। - ब्रांडिंग और मार्केटिंग में कमजोरी:
एमएसएमई के पास विपणन और ब्रांडिंग की कमजोरी है, जिसके कारण वे अपने उत्पादों को बाजार में स्थापित करने में मुश्किल महसूस करते हैं। - उत्पाद डिजाइन और तकनीकी उन्नयन की उच्च लागत:
अनुसंधान और विकास, उत्पाद डिजाइन और तकनीकी उन्नयन की उच्च लागत के कारण एमएसएमई अपने उत्पादों में विविधता लाने या उन्हें उन्नत बनाने में असमर्थ रहते हैं।
एमएसएमई क्षेत्र की प्रमुख मांगें
- सस्ती वित्तीय सहायता:
एमएसएमई के लिए सस्ती ब्याज दरों और दीर्घकालिक वित्तीय योजनाओं की जरूरत है, ताकि वे कम ब्याज दरों पर ऋण प्राप्त कर सकें। - लघु-स्तरीय संचालन और निवेश आकर्षण:
एमएसएमई के छोटे संचालन और कम मुनाफे को देखते हुए, निवेशकों और वित्तीय संस्थाओं से आकर्षण बढ़ाने के लिए सामाजिक रूप से उत्तरदायी निवेश को बढ़ावा देना जरूरी है। - सूचना और व्यापार संबंधों तक पहुंच:
एमएसएमई को व्यापार संपर्कों और सूचनाओं तक बेहतर पहुंच देने के लिए बाजार-आधारित हस्तक्षेप की आवश्यकता है। - औद्योगिक और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचा:
एमएसएमई के समर्थन के लिए ठोस औद्योगिक और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचा विकसित करना आवश्यक है, ताकि एमएसएमई हब स्थापित किए जा सकें।
बजट 2025-26 में सरकार से अपेक्षाएं
एमएसएमई क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में अहम योगदान होता है। सरकार से उम्मीद है कि बजट 2025-26 में एमएसएमई क्षेत्र के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
- कर रियायतें और प्रोत्साहन: एमएसएमई के लिए कर राहत और नई योजनाओं की घोषणा की जा सकती है, जिससे उनकी संचालन लागत में कमी आएगी।
- डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: एमएसएमई को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से जोड़ने के लिए निवेश किए जाने की उम्मीद है।
- नवाचार और तकनीकी उन्नयन के लिए सहायता: अनुसंधान और विकास के लिए विशेष फंडिंग और तकनीकी उन्नयन के लिए रियायती योजनाएं लागू की जा सकती हैं।
- महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन: महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष क्रेडिट योजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम पेश किए जा सकते हैं।
एमएसएमई क्षेत्र: आर्थिक वृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण
एमएसएमई क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बजट 2025-26 से यह उम्मीद की जा रही है कि वह इस क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करेगा और इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आवश्यक संसाधन और समर्थन प्रदान करेगा।