परिवार के सदस्य उन्हें पागल समझते हुए पुलिस को सौंपने तक पहुंच गए थे
प्रयागराज,संवाददाता : आईआईटी मुंबई से डिग्री, 36 लाख का पैकेज, आराम की जिंदगी ये सब छोड़कर अभय सिंह जूना अखाड़े के नागा संन्यासी बन गए। उनके एक निर्णय से उनकी पूरी जिंदगी बदल गई। हरियाणा के झज्जर से ताल्लुक रखने वाले अभय सिंह एक समय में कनाडा में लाखों कमाते थे। आइए जानते हैं कि उनका यह सफर कहां से शुरू हुआ और उन्होंने यह निर्णय कब लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अभय सिंह जब अपने घर में ध्यान करते थे, तो उनके परिवार के सदस्य उन्हें पागल समझते हुए पुलिस को सौंपने तक पहुंच गए। इस घटना ने अभय के मन में संन्यासी बनने का संकल्प मजबूत कर दिया। इसके बाद से उनका परिवार से मोह भंग हो गया और संन्यासी बनने का मन बना लिया। अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह एक वकील हैं। अभय ने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके साथ ही मास्टर ऑफ डिजाइनिंग और फोटोग्राफी का कोर्स भी किया। इसके बाद उन्होंने कनाडा की एक कंपनी में काम किया, जहां उनका सालाना पैकेज 36 लाख रुपये था। कोरोना महामारी के दौरान वह भारत लौट आए। घर पर वह घंटों ध्यान और आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे, लेकिन उनके परिजनों को यह पसंद नहीं आता था, क्योंकि उन्हें आस्था पर विश्वास नहीं था।
अभय सिंह का एक इंटरव्यू इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा वही किया जो उन्हें पसंद था, और उनका मानना है कि दूसरों को भी अपनी पसंद और आस्थाओं के अनुसार जीवन जीना चाहिए। बीटेक करते समय भी वह साइकोलॉजी पढ़ते थे और तंत्र-मंत्र की विद्या भी सीखी है। इसके साथ ही उन्होंने भक्ति मार्ग को भी अपनाया है। अभय एक किताब के लेखक भी हैं, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों और आध्यात्मिक यात्रा को साझा किया है। अभय के पिता कर्ण सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि परिवार अभय से मिलना चाहता है। उन्होंने पहले भी और अब भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। वे कहते हैं बेटे को घर वापस लाने का मन करता है, लेकिन वह नहीं मानेगा। क्योंकि वह वैराग्य के मार्ग पर चल रहा है।