गंगा में प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण पर विचार करते हुए ट्रिब्यूनल ने यूपी सहित विभिन्न राज्यों से मांगी थी रिपोर्ट
प्रयागराज, 11 नवम्बर 2024 – संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के आयोजन की तैयारी के बीच, गंगा और यमुना नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर एक गंभीर सवाल उठ खड़ा हुआ है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार से इन नदियों में जल प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का आदेश दिया है और कहा है कि यूपी के मुख्य सचिव चार सप्ताह के भीतर हालात से निपटने और जल प्रदूषण से बचाव के उपायों पर हलफनामा दें।
एनजीटी ने 6 नवंबर को अपने आदेश में कहा कि प्रयागराज जिले में गंगा का पानी अब आचमन के लायक भी नहीं बचा है। साथ ही यह भी पाया गया कि 25 खुले नालों से गंगा नदी में और 15 खुले नालों से यमुना नदी में प्रतिदिन सीवेज और गंदगी गिर रही है। मामले में सुनवाई 20 जनवरी को निर्धारित की गई है।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने गंगा और यमुना नदियों के जल प्रदूषण को लेकर गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में सीवेज शोधन में प्रतिदिन 128 मिलियन लीटर की कमी पाई गई है, जिससे नदियों का जल बेहद प्रदूषित हो रहा है। इस संदर्भ में, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेष सदस्य ए. सेंथिल वेल भी पीठ में शामिल थे।
गंगा और यमुना का पानी नहाने और आचमन के लायक नहीं: एनजीटी
एनजीटी ने 23 सितंबर को पेश की गई जांच रिपोर्ट को लेकर असंतोष जताया और सरकारी वकीलों से कहा कि गंगा और यमुना का पानी न तो नहाने के लायक है और न ही आचमन के लिए सुरक्षित है। एनजीटी ने सख्त शब्दों में यह भी कहा कि प्रयागराज में गंगा और यमुना के पानी की गंदगी के बारे में सार्वजनिक सूचना देनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस विषय को अखबारों में प्रकाशित कर और जगह-जगह नोटिस चस्पा कर लोगों को जागरूक किया जाए ताकि धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न हो।
एनजीटी की चेतावनी: धार्मिक आस्थाओं को ठेस न पहुंचे
एनजीटी ने सरकार से यह भी कहा कि कम से कम धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ न करें, क्योंकि गंगा और यमुना की स्वच्छता से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इस मुद्दे पर सरकार को गंभीर कदम उठाने की चेतावनी दी गई है, खासकर जब महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रस्तावित है।
जल प्रदूषण और प्रशासनिक उपेक्षा
प्रयागराज में जल प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने प्रशासन की उपेक्षा की ओर इशारा किया है। नदी के किनारे रहने वाले लाखों लोग और तीर्थयात्री इन नदियों के पानी पर निर्भर हैं। वहीं, एनजीटी ने कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।