वृंदावन कालोनी का मामला, बिना नोटिस दिए कार्रवाई, लोगों ने किया विरोध-प्रदर्शन, मूर्तियों को वापस लौटाने की मांग
लखनऊ: वृंदावन कालोनी के सेक्टर 13 में आवास विकास की टीम ने बिना नोटिस दिए सैकड़ों वर्ष पुराने पीपल के पौराणिक पेड़ को काट दिया। टीम यहीं नहीं रुकी, पेड़ के आसपास रखी पुरानी प्रतिष्ठित मूर्तियों को बुलडोजर से उठा ले गए। स्थानीय निवासियों ने नवरात्रि के अवसर पर सभी प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों को लौटाने की मांग की है। टीम हनुमान जी, शिव जी, नर्मदेश्वर शिवलिंग, हनुमान चालीसा की शिला समेत अन्य मूर्तियों भी टीम उठा ले गई। इस संबंध में यहां के निवासी मयंक मिश्रा, दुर्गेश, आनंद, भूपेश, दीपक पांडेय, संतोष समेत दर्जनों लोगों ने आवास विकास के अधिशाषी अभियंता रवींद्र कुमार गौढ़ को शिकायती पत्र लिखा है |
क्या बोले स्थानीय निवासी
स्थानीय निवासी दुर्गेश, मयंक समेत अन्य का कहना है कि 400 साल पुराने पीपल के पेड़ को आवास विकास की टीम ने बिना किसी नोटिस और कारण के काट दिया। पीपल के पेड़ के नीचे चार वर्ष पुरानी नर्मदेश्वर भगवान का शिवलिंग, बजरंगबली की मूर्तियां और हनुमान चालीसा का शिला था, जिसे बुलडोजर से उठाकर खंडित कर साथ ले गए। अधिशासी अभियंता रवींद्र गौड़ ने यहां के लोगों को बताया कि आवास विकास की कामर्शियल जमीन है, उसे कोई कब्जा नहीं कर सकता। उन्होंने कमिश्नर से बात करने का हवाला देकर बात को टाल दिया। स्थानीय निवासियों ने बताया कि टीम ने चोरी छुपे पेड़ को चारों तरफ से काली पन्नी से घेर दिया। ताकि वहां पर कोई देख ना पाए और वीडियो न बना पाए। उसके बाद पेड़ को चोरी छुपे काटा गया। जब स्थानीय महिलाओं ने मूर्तियों को लौटाने की मांग करके विरोध किया कि मूर्तियां तत्काल वापस कर दी जाएं तो महिला पुलिस को आगे कर दिया गया, ताकि कोई कुछ न कर पाए।
ऐसे होता था भजन कीर्तन
जिस स्थान पर पीपल का पेड़ लगा था वहां पर स्थानीय निवासी भजन कीर्तन भी करते थे | ये कार्यक्रम कई वर्षों से अनवरत चल रहा था | स्थानीय निवासियों का आरोप है कि आवास विकास की टीम ने भगवान को भी नहीं छोड़ा और बंधक बना ले गए ।
क्या बोले, अधिशाषी अभियंता रवींद्र गौड़
इस संबंध में संवाददाता डॉट कॉम ने अधिशाषी अभियंता रवींद्र गौड़ से बात की। उनका कहना है कि हमारे ऊपर के अधिकारियों से परमीशन मिली थी, संबंधित जमीन पर गैर कानूनी कब्जा किया गया है। उक्त जमीन उनकी नहीं, जो आरोप लगा रहे हैं, जो मूर्तियां थीं उनको अवैध तरह से पीपल के पेड़ के नीचे जमीन पर कब्जा करने की नियत से रखा गया था। जहां से कब्जा हटाया गया है।