इन अशुभ योगों के निवारण के लिए ज्योतिषीय उपायों का पालन करने से जीवन में आएगी सुख-शांति और समृद्धि
डॉ. उमाशंकर मिश्र, लखनऊ: जन्मकुंडली में ग्रहों की युति, दृष्टि और भावों के मेल से कई प्रकार के योग बनते हैं, जो जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें कुछ योग अशुभ होते हैं, जो जातक के जीवन में परेशानियाँ और संकट पैदा करते हैं। आइए जानें, कौन से हैं ये अशुभ योग और इनके निवारण के उपाय:
चांडाल योग
कुंडली में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का संयोजन चांडाल योग का कारण बनता है। इस योग के प्रभाव से शिक्षा, धन और चरित्र पर प्रतिकूल असर पड़ता है। निवारण: उत्तम चरित्र रखें, पीली वस्तुओं का दान करें, तथा गुरुवार को कठिन व्रत रखें।
अल्पायु योग
जब चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त हो और त्रिक स्थानों में स्थित हो, तो अल्पायु योग बनता है। इसके प्रभाव से जातक के जीवन पर संकट रहता है। निवारण: हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें, बुरे कार्यों से दूर रहें।
ग्रहण योग
यदि चन्द्रमा राहु या केतु के साथ बैठते हैं, तो चन्द्रग्रहण और सूर्य के साथ राहु बैठने से सूर्यग्रहण होता है। इस योग के प्रभाव से मानसिक पीड़ा और शारीरिक समस्याएँ हो सकती हैं। निवारण: 6 नारियल जल में प्रवाहित करें, आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें।
वैधव्य योग
सप्तम भाव का स्वामी मंगल और शनि की दृष्टि से वैधव्य योग बनता है। यह योग जीवन में विधवापन का कारण बनता है। निवारण: मंगला गौरी पूजा करें, मंगल और शनि के उपाय करें।
दारिद्रय योग
11वें घर का स्वामी यदि 6, 8 या 12वें घर में हो, तो दारिद्रय योग बनता है, जिससे आर्थिक संकट हमेशा बना रहता है। निवारण: सतत मेहनत करें और धार्मिक उपाय करें।
षड्यंत्र योग
जब लग्नेश 8वें घर में स्थित हो और शुभ ग्रह न हो, तो षड्यंत्र योग बनता है, जिससे जातक अपने करीबी से धोखा खा सकता है। निवारण: हर सोमवार शिव पूजा करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कुज योग (मांगलिक दोष)
कुंडली में मंगल यदि चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो कुज योग बनता है, जो वैवाहिक जीवन को कष्टपूर्ण बनाता है। निवारण: पीपल और वटवृक्ष में जल अर्पित करें, मंगल पूजा करें।
केमद्रुम योग
चन्द्रमा के अगले और पिछले घरों में ग्रहों का अभाव केमद्रुम योग बनाता है, जो जीवनभर संघर्ष और कठिनाइयाँ लाता है। निवारण: शुक्रवार को लाल गुलाब से गणेश और महालक्ष्मी पूजा करें।
अंगारक योग
यदि मंगल राहु या केतु के साथ बैठता है, तो अंगारक योग बनता है, जिससे जातक का स्वभाव आक्रामक और हिंसक हो सकता है। निवारण: हनुमानजी की पूजा करें, पक्षियों को दाना डालें।
विष योग
शनि और चन्द्रमा की युति से विष योग बनता है, जिससे जातक को जीवनभर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। निवारण: हनुमानजी की उपासना करें, शनिवार को छाया दान करें I