क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी, इस दिन अनंत सूत्र बांधने से होता है क्या जानें
डॉ उमाशंकर मिश्र, लखनऊः अनंत चतुर्दशी पर श्रीहरि के अनंत रूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर इस दिन विष्णु जी की उपासना कर ली जाए तो जीवन का हर दुख दूर हो जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत सुख देने वाला अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। मान्यता है सालभर में इस दिन श्रीहरि की पूजा कर ली जाए तो 14 साल तक अनंत फल प्राप्त होता है। पांडवों को भी इस व्रत के प्रताप से खोया राजपाठ मिला था। इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है। जानें अनंत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है, इस दिन का महत्व, कथा। अनंत चतुर्दशी की व्रत कथापौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में सुमंत नामक ब्राह्मण अपनी बेटी दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था। सुशीला जब विवाह लायक हुई तो उसकी मां का निधन हो गया। सुमंत ने बेटी सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया। कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर अपने आश्रम जा रहे थे, लेकिन रास्ते में रात हो गई तो एक जगह पर रुक गए, उस जगह कुछ स्त्रियां अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं। सुशीला ने भी महिलाओं से उस व्रत की महीमा जानी और उसने भी 14 गांठों वाला अनंत धागा पहन लिया और कौंडिन्य ऋषि के पास आ गई लेकिन कौंडिन्य ऋषि ने उस धागे को तोड़कर आग में डाल दिया, इससे भगवान अनंत सूत्र का अपमान हुआ। श्रीहरि के अनंत रूप के अपमान के बाद कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वे दुखी रहने लगे। फिर कौंडिन्य ऋषि उस अनंत धागे की प्राप्ति के लिए वन में भटकने लगे. एक दिन वे भूख-प्यास से जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान अनंत प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि कौंडिन्य तुमने अपनी गलती का पश्चाताप कर लिया है. अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक इस व्रत को करना. इसके प्रभाव से तुम्हारा जीवन सुखमय हो जाएगा और संपत्ति भी वापस आ जाएगी. कौंडिन्य ऋषि ने वैसा ही किया, जिसके बाद उनकी धन, संपत्ति वापस लौट आई और जीवन खुशहाल हो गया।