मोक्षदा एकादशी के व्रत से नष्ट होते हैं सभी पाप, जीवन में होता है सुख-शांति का वास
डॉ. उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : हर महीने दो एकादशी तिथियां होती हैं, और दिसंबर में भी दो एकादशी व्रत आयोजित किए जाएंगे। इस महीने की पहली एकादशी मोक्षदा एकादशी है, जो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व:
मोक्षदा एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि इसी दिन महाभारत की रणभूमि में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। इस कारण मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का पर्व एक ही दिन मनाया जाता है।
व्रत का पुण्य:
मोक्षदा एकादशी का व्रत घर-परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन उपवास करने से न केवल पितरों को मोक्ष मिलता है, बल्कि घर के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। यह एकादशी व्रत रखने वाले जातकों को मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, वैखानस नामक एक राजा को एक दिन सपना आया कि उनके पिता नरक में यातनाएं भोग रहे हैं। पिता की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए राजा पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचे और उपाय पूछा। महात्मा ने बताया कि उनके पिता ने पिछले जन्म में बुरे कर्म किए थे, जिसके कारण वे नरक में यातनाएं भोग रहे थे। महात्मा ने राजा को मोक्षदा एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया, जिससे उनके पिता को मुक्ति मिल सके। राजा ने विधि-विधान से व्रत किया और परिणामस्वरूप उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। साथ ही राजा को भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ।