हिंदू धर्म में होता है हनुमान जी की पूजा का अत्यंत विशेष महत्व
डॉ उमाशंकर मिश्रा,लखनऊ : ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रद्धा और विश्वास से बजरंगबली की उपासना करता है, उसके जीवन के बड़े से बड़े कष्ट भी दूर हो जाते हैं। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां और नौ निधियों का वरदान प्राप्त है, जिसके प्रभाव से वे अपने भक्तों की हर विपत्ति का नाश कर जीवन में सुख-शांति और सफलता प्रदान करते हैं।
हनुमान जी और वास्तु शास्त्र में उनका महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन या भूखंड के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में हनुमान जी की ध्वजा लगाना अत्यंत लाभकारी होता है। इस कोण का संबंध नैऋति नामक राक्षस और राहु ग्रह से होता है। यह दिशा यदि दोषयुक्त या हल्की हो, तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, जिससे परिवार में मानसिक तनाव, रोग, और आर्थिक हानि जैसे दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
उपाय – नैऋत्य कोण में हनुमान जी की ध्वजा
यदि नैऋत्य कोण में एक पर्वत उठाए हुए हनुमान जी का चित्र या ध्वजा 20 फीट ऊंचाई की पाइप पर लगाई जाए, तो यह एक चेतावनी संकेत की तरह कार्य करता है – ठीक वैसे जैसे समुद्र में प्रकाश स्तंभ जहाजों को टकराने से बचाते हैं। यह नकारात्मक शक्तियों के लिए एक स्पष्ट संकेत होता है कि यह स्थान अब सुरक्षित है और हनुमान जी की निगरानी में है।
अन्य महत्वपूर्ण वास्तु सुझाव
- भवन या भूखंड का नैऋत्य कोण हमेशा अन्य कोनों से ऊंचा और भारी होना चाहिए।
- नया भूखंड खरीदते समय इस दिशा को विशेष रूप से जांचें – यदि यह हिस्सा नीचा या खुला हुआ है, तो यह एक बड़ा वास्तु दोष माना जाता है।
- यदि नैऋत्य कोण खुला हो, तो वहां पत्थरों से पहाड़ जैसा निर्माण कर सकते हैं, या भारी फर्नीचर व अनुपयोगी सामग्री रख सकते हैं।
- बड़े-बड़े पेड़ लगाकर भी इस दिशा को “भारी” बनाया जा सकता है।
- राहु यंत्र की स्थापना इस दोष को कम करने में सहायक सिद्ध होती है।
- अगर यह भाग बहुत खुला हो, तो एक अतिरिक्त दीवार बनाकर उसे अलग किया जा सकता है।
ध्वजा स्थापना की विधि और समय
- ध्वजा मंगलवार के दिन लगवाना शुभ माना गया है।
- यह उपाय खास तौर पर उस स्थान पर करें जहाँ बार-बार मानसिक अशांति, विवाद, बीमारियाँ या आकस्मिक हानि हो रही हो।