रोग, शत्रु नाश, और बाधाओं के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी स्तोत्र
डॉ उमाशंकर मिश्र लखनऊ : विभीषण द्वारा रचित ‘हनुमान वडवानल स्तोत्र’ एक अत्यधिक प्रभावी मंत्र है, जिसे शत्रु नाश, रोगों के उपचार, और विभिन्न प्रकार की बाधाओं के निवारण के लिए उच्चतम प्रभावी माना जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जो मानसिक, शारीरिक, या शत्रुजनित कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
मंत्र पाठ की विधि
इस मंत्र का पाठ यदि 108 बार प्रति दिन किया जाए, तो यह 41 दिनों तक निरंतर करने पर सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह उपाय इच्छित कार्य की सिद्धि में सहायक है। विधिपूर्वक सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस मंत्र का जाप करने से सभी विघ्नों का निवारण होता है।
विनियोग
ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषि, श्रीहनुमान वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं – इस मंत्र से शत्रु, रोग, और बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।
ध्यान
मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।
(अर्थात, हनुमानजी की शक्ति, बुद्धि, और समर्पण के लिए ध्यान केंद्रित करें।)
हनुमान वडवानल स्तोत्र
यह स्तोत्र विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों को निवारित करने में सहायक है। इससे ग्रह दोष, पिशाच दोष, ज्वर और शत्रुओं का नाश होता है। इससे प्राप्त होने वाले लाभों में शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति, और समाजिक संबंधों में सुधार शामिल है। अगर यह स्तोत्र नियमित रूप से जाप किया जाए, तो जीवन में आने वाली समस्याओं और संकटों का समाधान निश्चित रूप से होगा। इसके माध्यम से समस्त पापों का नाश और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है I