बड़ी कार्रवाईः दो दिन पहले एसएसआइ पर चला कार्रवाई का हंटर, अब इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, इस बार प्रभारी तो दो महीने भी नहीं टिक पाए
काका, सीतापुरः मछरेहटा थाने के दारोगा के गोलीकांड की घटना अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि कमलापुर थाना अचानक सुर्खियों में छा गया। अंधेरे में एसपी चक्रेश मिश्रा ने थाने पर छापा मारा।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक थाना प्रभारी दुरुस्त नहीं मिले, थाना रजिस्टर अपडेट नहीं मिला, एसओजी द्वारा की गई कार्रवाई में भी गोलमोल था, स्टाफ पर अवैध वसूली और अपराधियों को संरक्षण की शिकायत पहले से थी। बीट में जिनकी ड्यूटी थी, वे भी बुलाने पर लापता थे। इतना सब एक साथ देख एसपी का पारा चढ़ गया। अभी दो दिन पहले ही एसपी ने एसएसआइ को एक मुक़दमे में हीलाहवाली और अपराधियों को संरक्षण के आरोप में हटाया था। अब एक साथ इंस्पेक्टर समेत 27 पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर कर दिया।
कमलापुर थाने पर किसका साया, दो से छह महीने पर बदल जाते हैं थानेदार..लखनऊ-सीतापुर हाईवे से सटा कमलापुर थाना पिछले कई वर्षों से चर्चा में है। कोई भी थानेदार छह महीने से ज़्यादा नहीं रुक पाता। हाल ये है कि अब कमलापुर का नाम सुन कोई बलि का बकरा नहीं बनना चाहता। अभी आठ जून को ही छह महीने का कार्यकाल पूराकर केबी सिंह हटाए गए। अब इंस्पेक्टर भानु प्रताप दो महीने भी नहीं रुक पाए। दरअसल इसका कारण भी है।
क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि केबी सिंह ने दलालों और अपराधियों पर शिकंजा कस थाने को नीट एंड क्लीन कर दिया था, लेकिन विभागीय चक्रव्यूह के चलते उन्हें किनारे किया गया। उनके हटते ही थाने में वही सब फिर चालू हो गया, जो अपराधियों और दलालों की टीम पुलिस से करवाना चाहती थी। एसपी तक शिकायत पहुंची जो औचक निरीक्षण में काफी हद तक सही निकलीं।
पारा थाने को “नापने” वाले अफसर का असर सीतापुर में भीः आइजी रेंज लखनऊ रहे जयनारायण सिंह की गिनती ईमानदार, तेजतर्रार और सख़्त मिज़ाज अफ़सरों में होती है, उन्होंने आइजी रहते पूरा का पूरा पारा थाने का स्टाफ़ हटा दिया था, मौजूदा में वे सीतापुर एपीटीसी में हैं और यहाँ भी पहली बार पारा थाने की तर्ज पर कार्रवाई हुई।