खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई का अधिकारी बताते थे डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग
गुजरात, संवाददाता : गुजरात पुलिस ने बीते चौबीस घंटों में डिजिटल अरेस्ट कर दो गिरोहों के 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो लोगों से ठगी कर रहे थे। अहमदाबाद और सूरत पुलिस की इस कार्रवाई में एक गिरोह के तार चीनी माफियाओं से जुड़े होने का खुलासा हुआ है। दोनों गिरोहों ने ठगी के लिए डिजिटल अरेस्ट करने का तरीका अपनाया था।
14 राज्यों में ठगी के मामले
सूरत पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट से ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। इन पर 14 राज्यों में 28 ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में रमेश कुमार सुराणी, उमेश जिंजाला, नरेश सुराणी, राजेश दिहोरा और गौरांग राखोलिया शामिल हैं। यह गैंग चीनी माफियाओं द्वारा ऑपरेट किया जा रहा था, और इसका मुख्य सरगना पार्थ गोपाणी उर्फ मॉडल कंबोडिया में छिपा हुआ है। गैंग ने शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले 90 वर्षीय एक सीनियर सिटीजन को फंसाकर उनसे 1.15 करोड़ रुपए की ठगी की थी। पुलिस ने एक बैंक खाते के जरिए इस गैंग तक पहुंच बनाई और इसका पर्दाफाश किया।
कैसे काम करता था डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग के सदस्य किसी भी नंबर पर वाट्सएप कॉल करते हैं और खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई का अधिकारी बताते हैं। वे कॉल उठाने वाले व्यक्ति को यह कहकर डराते हैं कि उनके नाम का पार्सल मिला है जिसमें ड्रग्स हैं। फिर गैंग का दूसरा सदस्य बड़ा अधिकारी बनकर फोन करता है और बचने के लिए अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवा लेता है। सूरत और अहमदाबाद के मामलों में दोनों गिरोहों ने बुजुर्गों को निशाना बनाया और उनसे दो करोड़ तीन लाख रुपए ठग लिए।