आजादी मिलने से 87 साल पहले ही पेश किया गया था पहला बजट
दिल्ली,संवाददाता : भारत में केंद्रीय बजट का महत्व हर नागरिक के जीवन से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह देश की आर्थिक दिशा, विकास प्राथमिकताओं और संसाधनों के आवंटन की रूपरेखा तय करता है। इस बार 1 फरवरी को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा 2025-26 का केंद्रीय बजट। क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला बजट आज़ादी से 87 साल पहले 1860 में एक अंग्रेज, जेम्स विल्सन ने पेश किया था? 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश हुकूमत पर आर्थिक संकट गहराने लगा था। ऐसे में स्कॉटलैंड के निवासी जेम्स विल्सन को भारत भेजा गया था। 1859 में भारत आए जेम्स विल्सन ने 1860 में देश का पहला बजट पेश किया। जेम्स विल्सन को बाजार और व्यापार का गहरा ज्ञान था, और उनकी वित्तीय समझ ने ब्रिटिश राज को भारत में वित्तीय संकट से उबारने में मदद की। सर रिचर्ड टेम्पल की पुस्तक में इस योगदान का विस्तार से उल्लेख है। भारत के संविधान में बजट शब्द का उल्लेख नहीं है; इसे “वार्षिक वित्तीय विवरण” कहा गया है, जो अनुच्छेद 112 के तहत राष्ट्रपति द्वारा संसद में पेश किया जाता है। यह दस्तावेज केंद्र सरकार के राजस्व और व्यय का विवरण प्रदान करता है। 2025-26 का बजट एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण, बुनियादी ढांचे और रक्षा जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, यह बजट कर प्रणाली, राजस्व और व्यय के माध्यम से देश की आर्थिक नीतियों को प्रभावित करेगा।
केंद्रीय बजट का समाज पर प्रभाव
केंद्रीय बजट देश की आर्थिक नीतियों और बाजारों पर गहरा प्रभाव डालता है। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है और आर्थिक विकास को गति देता है। साथ ही, बजट में किए गए आवंटन का सीधा असर गरीबों और मध्यम वर्ग के जीवन पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त, बजट महंगाई और ब्याज दरों को भी प्रभावित करता है, जिसका असर आम जनता की जीवनशैली और उधारी की लागत पर पड़ता है। आजादी के बाद के शुरुआती वर्षों में बजट केवल अंग्रेजी में प्रकाशित होता था, जो ब्रिटिश परंपरा का हिस्सा था। 1955 में इसे पहली बार हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित किया गया। अब, 1 फरवरी को आने वाला बजट निश्चित रूप से भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण योजनाओं में होने वाले आवंटनों के माध्यम से।