गुइलैन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण इंदौर में बढ़े, एमवायएच में इलाज जारी
इंदौर,संवाददाता : पिछले कुछ महीनों से पुणे में सामने आई गुइलैन-बैरे सिंड्रोम के लक्षणों वाले मरीज इंदौर में भी बढ़ते जा रहे हैं। एमवायएच की मेडिसिन विभाग ओपीडी की न्यूरोलॉजी यूनिट में हर सप्ताह तीन मरीज इसके लक्षणों के साथ आ रहे हैं, जिनमें से कुछ को तीन सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती भी किया जा रहा है।
यह बीमारी एक दुर्लभ नर्वस सिस्टम विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्न होना और कभी-कभी लकवा भी हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है, न कि किसी वायरस से, और इसलिए यह एक-दूसरे को संक्रमित नहीं करती। एमवायएच के मेडिसिन विभाग के डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया, “यह बीमारी विशेषकर ऋतु परिवर्तन के दौरान अधिक देखी जा रही है, जैसे कि ठंडी से गर्मी या बारिश के समय, जब वायरल फीवर के केस बढ़ने लगते हैं।”
गुइलैन-बैरे सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर वायरल फीवर, लू, या गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल इन्फेक्शन से होती है। इसके लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्न होना, चलने में कठिनाई और कभी-कभी सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मोनिका पोरवाल बागुल के अनुसार, “यदि इलाज समय पर किया जाए तो यह बीमारी गंभीर नहीं होती है और मरीज ठीक हो जाते हैं।” इस बीमारी का उपचार प्लाज्मा एक्सचेंज और इयूनोग्लोबुलिन थेरेपी से किया जा रहा है, जो मरीजों को गंभीर स्थिति से बचा रहे हैं।