बैगन में कीड़ों के छेद होने पर उसमें भर दिया जाता है केमिकल मिश्रित मसाला
लखनऊ,संवाददाता : जिले में बिक रही ताजा और चमकदार दिखने वाली सब्जियां और फल केमिकल ट्रीटमेंट से धुलकर बाजार में बिक रही हैं। हालांकि, ये सब्जियां और फल खाने में आकर्षक और ताजगी से भरपूर लगते हैं, लेकिन इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
केमिकल से ट्रीट की गई सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं और इनका सेवन करने से एलर्जिक रिएक्शन, किडनी व लिवर की बीमारियाँ, पेट की समस्याएं, बीपी, गैस, कैंसर और फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने कहा कि इन केमिकल से चमकाई गई सब्जियों का सेवन शरीर में एकत्र होकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। वे विशेष रूप से आकर्षक रंग और आकार वाली सब्जियों से बचने की सलाह देते हैं और सामान्य रंग रूप वाली सब्जियों का सेवन करने को अधिक लाभकारी बताते हैं।
शहर में बिकने वाली कई सब्जियों जैसे कद्दू, लौकी, भिंडी, करेला, शिमला मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, धनियां, पालक, टिंडा, तुरई और परवल को ग्रीन केमिकल से चमकाया जाता है। इसके अलावा, बैगन में कीड़ों के छेद होने पर उसमें केमिकल मिश्रित मसाला भर दिया जाता है। लौकी के डंठल में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने से वह रातों-रात लंबी हो जाती है। मेलाथियान के घोल में बासी सब्जियों को डुबाकर 24 घंटे में उन्हें ताजगी जैसी चमक दी जाती है। हरे रंग का केमिकल भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें हरा रंग, सरसों का तेल और केमिकल मिलाकर सब्जियों को चमकाया जाता है। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी राजीव सक्सेना ने बताया कि सब्जी की गंध से उसके केमिकल ट्रीटमेंट का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, यदि सब्जी को 12-16 घंटे तक खुले में रखा जाए तो केमिकल ट्रीटमेंट वाली सब्जी में कालापन आ जाता है। ज्यादा हरी सब्जियों को पानी से धोकर या हाथ से रगड़कर भी इस ट्रीटमेंट का पता लगाया जा सकता है। साथ ही, केमिकल ट्रीटमेंट वाली सब्जी पकने में अधिक समय लेती है। सीएमएचओ डॉ. आरपी गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार के केमिकल ट्रीटमेंट के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक शिकायत उनके पास नहीं आई है। हालांकि, अगर ऐसा हो रहा है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।