महाकुंभ में 40 करोड़ तीर्थयात्रियों के आने का अनुमान, सीएम योगी स्वयं कर रहे मानीटरिंग
प्रयागराज,संवाददाता : महाकुंभ में अब तक स्नान करने वालों की संख्या आठ करोड़ 26 लाख हो गई है। रविवार को ही 44.9 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इनके अतिरिक्त दस लाख कल्पवासियों ने भी स्नान किया। महाकुंभ में 40 करोड़ या इससे अधिक तीर्थयात्रियों के आने का पूर्वानुमान है। देश-दुनिया से लोगों के आने और स्नान का क्रम लगातार बना है। प्रत्येक दिन स्नानार्थियों की संख्या बढ़ रही है। सभी घाट आस्था की डुबकी लगाने वालों से भरे रहते हैं। पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर हो चुका है, लेकिन डुबकी लगाने वालों की भीड़ अब भी उत्साह में है। रविवार सुबह कोहरा था, लेकिन दोपहर में मौसम साफ हो गया। धूप खिलने के साथ ही मेला क्षेत्र के प्रमुख मार्गों, संगम मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ चलती रही। पतित पावन गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों की संगम स्थली तीर्थराज प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के अवसर पर अब तक आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने दिया विशेष प्रबंध का निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी के अवसर पर विशेष व्यवस्थाओं का निर्देश दिया है। रविवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि गणतंत्र दिवस, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी पर महाकुंभ मेला क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन और संचार तंत्र को और बेहतर बनाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “मौनी अमावस्या व वसंत पंचमी के अमृत स्नान के समय सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए।” इन विशेष दिनों पर पांटून पुलों पर एकतरफा आवागमन व्यवस्था की जाए और मेला क्षेत्र को नो व्हीकल जोन (वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित) घोषित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि श्रद्धालुओं की आस्था का पूरी तरह से सम्मान किया जाए। योगी ने महाकुंभ नगर में मेला क्षेत्र का भ्रमण करने के बाद प्रयागराज मेला प्राधिकरण के इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मेला परिसर में लगभग डेढ़ करोड़ श्रद्धालु उपस्थित हैं और अब तक आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी स्नान कर चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि मौनी अमावस्या के दिन 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है और इस संदर्भ में पर्याप्त प्रबंध किए जाने चाहिए। साथ ही, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि लोग कम से कम पैदल चलें और स्नान के लिए निकटतम घाट पर जाएं।