दिल्ली की ममता ने संन्यास का मार्ग चुनने से पहले खुद का किया पिंडदान
प्रयागराज,संवाददाता : महाकुंभ में कई लोग मोह-माया छोड़ कर संन्यास लेने का निर्णय लेते हैं, और इनमें से एक हैं दिल्ली की ममता वशिष्ठ। ममता ने दो महीने पहले गृहस्थ जीवन की शुरुआत की थी, लेकिन अब उन्होंने महाकुंभ में खुद का पिंडदान कर संन्यास की राह अपनाई। किन्नर अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर की जिम्मेदारी सौंपते हुए विधिवत उनका पट्टाभिषेक किया। ममता ने दो महीने पहले दिल्ली के संदीप वशिष्ठ से विवाह किया था, लेकिन अब उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागकर सनातन धर्म का प्रचार करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि वह मानव कल्याण के लिए काम करेंगी। महाकुंभ में किन्नर अखाड़े के शिविर में ममता ने विधिपूर्वक पिंडदान किया। इसके बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें अखाड़े का महामंडलेश्वर घोषित किया। ममता ने बताया कि उनका हमेशा से सनातन धर्म में गहरा विश्वास था और उनके इस निर्णय में उनके पति और सास का पूरा समर्थन रहा। डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि ममता की संन्यास में रुचि को देखते हुए उन्हें दीक्षा दी गई और महामंडलेश्वर बनाया गया। इस महाकुंभ में किन्नर और महिला संतों के लिए पिंडदान के बाद मुंडन अनिवार्य नहीं किया गया है। ममता अब संन्यास के मार्ग पर चलकर धर्म और मानवता की सेवा करेंगी।