गुजरात सरकार की यह पहल बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक कदम है
सूरत,संवाददाता : पिछले दिनों सूरत के पांडेसरा क्षेत्र में एक किशोरी और एक बच्ची की आत्महत्या का मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया। दोनों बच्चियाँ लगातार मोबाइल फोन और सोशल मीडिया में व्यस्त रहती थीं, और अभिभावकों के टोकने पर उन्होंने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने समाज को झकझोर दिया, जिसके बाद गुजरात सरकार ने विद्यार्थियों को स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए विशेष गाइडलाइन जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है। शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया ने कहा, “सूरत में मोबाइल फोन को लेकर बच्चियों की आत्महत्या का मामला सामने आना बहुत ही गंभीर है। इस पर तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता थी, इसलिए स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए विशेष गाइडलाइन तैयार करने का निर्णय लिया गया है।” शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, “मोबाइल और सोशल मीडिया की लत के कारण बच्चों और उनके परिवारों के बीच आत्मीयता में कमी आ रही है। नए गाइडलाइन का उद्देश्य बच्चों को एक दूसरे के साथ अधिक समय बिताने और आपस में अच्छे संबंध स्थापित करने की दिशा में मार्गदर्शन करना है। इस पर एक विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है। जब परिवार एक-दूसरे को समय देंगे तो आपसी समझ बढ़ेगी, जिससे इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकेगा।”
शिक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार स्मार्टफोन पर प्रतिबंध नहीं लगा रही है। उन्होंने कहा, “स्मार्टफोन के बजाय, एक साधारण फोन जिसमें इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल की सुविधा हो, भी बच्चों के लिए सुरक्षित विकल्प हो सकता है। हमारा उद्देश्य सिर्फ बच्चों और उनके अभिभावकों को स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बचाना है। इसमें स्कूलों, अभिभावकों और बच्चों का भी सहयोग लिया जाएगा।” शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि गाइडलाइन तैयार करने का काम एक जनभागीदारी अभियान के रूप में किया जाएगा, जिसमें चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी, टीचर यूनिवर्सिटी, धार्मिक संस्थाएं, एनजीओ, संतों और अन्य विशेषज्ञ शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “हम इस पर काम कर रहे हैं और अगले एक महीने में गाइडलाइन तैयार करने का प्रयास जारी है। गाइडलाइन पर सभी की राय लेकर इसे लागू किया जाएगा।”