बीएमसी चुनाव से पहले कई नेता शिंदे खेमे में शामिल
मुंबई,संवाददाता : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दलों का ध्यान राज्य के नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनावों पर है। खासकर मुंबई नगर निगम चुनाव शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी बिना किसी गठबंधन के अकेले बीएमसी चुनाव लड़ेगी। इसके तहत, पार्टी ने मोर्चाबंदी शुरू कर दी है और नेता लगातार बैठकें कर रहे हैं। दूसरी ओर, शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट ने भी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। राज्य में आगामी चुनाव से पहले शिंदे गुट ने ‘ऑपरेशन टाइगर’ की शुरुआत की है। कुछ दिन पहले, शिवसेना नेता और मंत्री उदय सामंत ने इसकी जानकारी दी थी। इसी बीच, उद्धव गुट के कई बड़े नेता पाला बदलकर शिंदे खेमे में शामिल हो चुके हैं, जिससे उद्धव ठाकरे को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है।
बीएमसी चुनाव से पहले, मुंबई में शिंदे की शिवसेना ने उद्धव गुट को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। शिवसेना (यूबीटी) की महिला उपनेता राजुल पटेल ने ठाकरे गुट छोड़कर शिंदे की शिवसेना जॉइन की। राजुल पटेल ने 2019 विधानसभा चुनाव में वर्सोवा सीट से उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया था, लेकिन उनकी जगह हारून खान को टिकट दिया गया, जिससे वह पार्टी से नाराज हो गईं। हारून खान ने भाजपा की भारती लवेकर को हराया था। राजुल पटेल, जो एक पुरानी महिला शिवसैनिक हैं, ने नगर निगम चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी, जिसे उद्धव गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वर्सोवा को शिवसेना का गढ़ माना जाता है और पटेल की इस क्षेत्र पर मजबूत पकड़ समझी जाती है। उनके साथ ही, शिवसेना (यूबीटी) के दो दर्जन से अधिक पूर्व बीएमसी पार्षद भी शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए हैं। हाल के दिनों में शिवसेना को कई राजनीतिक झटके लगे हैं। सावंतवाड़ी के तालुका प्रमुख और कई पदाधिकारी ठाकरे गुट का साथ छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। चर्चा है कि पूर्व विधायक राजन साल्वी भी ठाकरे गुट का साथ छोड़ने वाले हैं, जिससे उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।