अंतरिक्ष डॉकिंग अनुसंधान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, उपग्रहों के रखरखाव और सेवा में करेगा मदद
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग के हिस्से के रूप में पीएसएलवी-सी-60/स्पैडेक्स मिशन के साथ नए साल की शुरुआत की। यह मिशन भविष्य के अंतर-ग्रहीय मिशनों और पहले मानव अंतरिक्ष यान ‘गगनयान’ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। अब इसरो अपने 100वें प्रक्षेपण मिशन के लिए पूरी तरह तैयार है, जो जनवरी के मध्य में होगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मिशन कंट्रोल सेंटर से वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा अगला मिशन जनवरी के मध्य में जीएसएलवी होगा, जो नए साल 2025 का पहला प्रक्षेपण होगा।” उन्होंने आगे बताया कि 2025 में कई मिशन होंगे, और सबसे पहले हम जीएसएलवी द्वारा एनवीएस-02 (नाविक समूह का एक उपग्रह) का प्रक्षेपण करेंगे।
सोमनाथ ने कहा, “पीएसएलवी-सी60/स्पैडेक्स मिशन इसरो का 99वां मिशन था और जनवरी में जीएसएलवी मिशन 100वां प्रक्षेपण होगा, जो प्रक्षेपणों की शताब्दी को चिह्नित करेगा।” स्पैडेक्स मिशन पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह अंतरिक्ष डॉकिंग अनुसंधान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, उपग्रहों के रखरखाव और सेवा में मदद करेगा, साथ ही यह भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशनों के निर्माण में भी सहायक होगा। मिशन की शुरुआत में दो मिनट की देरी के बारे में बताते हुए सोमनाथ ने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए था कि हमारे उपग्रह अन्य उपग्रहों के बहुत करीब न आएं। डॉकिंग एक नियंत्रित तकनीक है, और हम इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हैं।” इसरो का 100वां मिशन अंतरिक्ष प्रक्षेपण के नए इतिहास की शुरुआत करने वाला है, और वैज्ञानिकों के लिए यह एक और बड़ा कदम होगा I