प्रदूषण के कारण बच्चों की सेहत और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित
नई दिल्ली,संवाददाता : देश की राजधानी दिल्ली समेत भारत के प्रमुख शहरों में प्रदूषण ने सांसों पर खतरा बढ़ा दिया है। नवंबर माह में दिल्ली का प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक स्तर से 50 गुना तक बढ़कर एक्यूआई 750 से ज्यादा हो गया, जो कि घातक से ज्यादा खतरनाक श्रेणी में आता है। इस स्थिति को देखते हुए दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रैप-फोर स्तर के प्रतिबंध लागू किए गए हैं। इन प्रतिबंधों के तहत दिल्ली, एनसीआर और हरियाणा में बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं और कक्षाएं ऑनलाइन कर दी गई हैं, साथ ही वर्क फ्राम होम के आदेश जारी किए गए हैं।
27 नवंबर से स्कूलों को फिर से खोल दिया गया, लेकिन ग्रैप-फोर के प्रतिबंध अभी भी लागू हैं। इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए दिल्ली में सोमवार को समीक्षा बैठक रखी गई है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे राष्ट्रीय आपातकाल की संज्ञा दी है। सरकार द्वारा प्रदूषण में सुधार के उपायों के बावजूद स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है।
प्रदूषण के कारण हर दिन पांच साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत
अमेरिका की हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट “स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2024” में यह दावा किया गया है कि भारत में प्रदूषण के कारण हर दिन पांच साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत हो रही है। 2021 में भारत में प्रदूषण के कारण 21 लाख लोगों की जान गई।
भारत में वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयास
भारत ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें मुख्य रूप से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान ग्रैप और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शामिल हैं। ग्रैप में प्रदूषण स्तर के आधार पर अलग-अलग उपाय किए जाते हैं, जैसे वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध, निर्माण गतिविधियों पर रोक, और जब प्रदूषण उच्चतम स्तर पर हो, तो स्कूलों को बंद करना और वर्क फ्राम होम की व्यवस्था करना।
पराली जलाने से 25 लाख मौतें
लैंसेट के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 2000 से 2019 के बीच भारत में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण कम से कम 25 लाख लोगों की मृत्यु हुई। यह अध्ययन इस बात को भी उजागर करता है कि प्रदूषण के कारण दुनिया भर में होने वाली मौतों का अधिकांश हिस्सा निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुआ है।
दिल्ली को प्रदूषण से 2500 करोड़ का नुकसान
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण व्यवसायों को भारी नुकसान हुआ है। ग्रैप-फोर के तहत लागू कड़े प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप पिछले महीने दिल्ली में 2500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।