परिजनों का आरोप, अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी कोई जानकारी और मदद
झांसी : झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (नीकू) वार्ड में लगी आग में 10 बच्चों की मौत हो गई, जिससे पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। मृतक बच्चों के परिजनों में गहरा आक्रोश और दुख है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की और उनके बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
परिजनों की बढ़ती चिंता और आक्रोश
घटना के बाद परिजनों में निराशा और आक्रोश की स्थिति है। उनका कहना है कि जिन बच्चों को नीकू वार्ड से सुरक्षित निकालकर इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, उनके बारे में भी कोई सूचना नहीं दी जा रही है। एक परिजन ने बताया कि जब वह इमरजेंसी वार्ड में गए, तो उनके बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उन्हें यह भी नहीं बताया कि किस आधार पर बच्चे को मृत घोषित किया गया है। उन्हें न तो शव दिया गया और न ही किसी अधिकारी से जानकारी प्राप्त हुई।
डीएनए परीक्षण की मांग
घटना के दौरान बच्चे बिना टैग के बाहर भागे, जिससे यह असमंजस उत्पन्न हो गया कि किसका बच्चा किसके पास है। परिजनों ने एक स्वर से सभी बच्चों का डीएनए परीक्षण किए जाने की मांग उठाई है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन सा बच्चा किसके पास है और उनकी सही पहचान हो सके।
अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए परिजन
झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में गंभीर अव्यवस्थाओं का खुलासा परिजनों द्वारा किया जा रहा है। एक परिजन ने बताया कि शुक्रवार शाम 5:00 बजे शॉर्ट सर्किट के कारण लाइट चली गई, और आग बुझने के बाद भी संबंधित अधिकारियों और स्टाफ ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यदि समय रहते ध्यान दिया गया होता, तो रात 10:00 बजे इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठाए गए
परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों ने मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जिन बच्चों को दो-दो घंटे में दूध पिलाया जाता था, उनके बारे में जानकारी नहीं दी जा रही। यह आरोप भी लगाए जा रहे हैं कि अस्पताल प्रशासन ने आग लगने की घटना के दौरान अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई।
आखिरकार प्रशासन पर उठे सवाल
झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में घटित इस भीषण घटना और इसके बाद अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने इस संस्थान की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। परिजनों के आरोपों ने प्रशासन को मुश्किल में डाल दिया है, और अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।