ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र
दिनांक: 19 जनवरी 2025
दिन: रविवार
विक्रम संवत: 2081
शक संवत: 1946
अयन: उत्तरायण
ऋतु: शिशिर ॠतु
मास: माघ
पक्ष: कृष्ण
तिथि: पंचमी सुबह 06:55 तक, तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी शाम 05:09 तक, तत्पश्चात हस्त
योग: अतिगण्ड रात्रि 01:51 तक, तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल: शाम 04:30 से शाम 06:00 तक
सूर्योदय: 06:41
सूर्यास्त: 05:19
दिशाशूल: पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण: पंचमी वृद्धि तिथि
रविवार
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
माघ मास
माघ मास हिंदू पञ्चाङ्ग का 11वां चंद्रमास है। इस मास में मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम माघ रखा गया।
माघ मास में श्रवण और मूल शून्य नक्षत्र होते हैं, जिनमें कार्य करने से धन का नाश होता है।
माघ में कृष्ण पक्ष की पंचमी और शुक्ल पक्ष की षष्ठी मास शून्य तिथियां होती हैं, जिनमें शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
माघ मास की महिमा:
पद्मपुराण, उत्तरपर्व में कहा गया है, “ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी, मासानां च तथा माघः श्रेष्ठः सर्वेषु कर्मसु”
अर्थात जैसे सूर्य ग्रहों में और चन्द्रमा नक्षत्रों में श्रेष्ठ हैं, वैसे ही माघ मास सभी महीनों में श्रेष्ठ है।
विशेष महत्व:
माघ मास में प्रातः स्नान, जप, होम और दान का विशेष महत्व है।
पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ मास में नाना प्रकार के फूलों से भगवान की पूजा करनी चाहिए।
दान का महत्व:
माघ में तिलों का दान जरूर करना चाहिए। महाभारत के अनुसार, माघ मास में ब्राह्मणों को तिल दान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
पारंपरिक उपाय:
माघ मास में प्रातःकाल स्नान, भगवद्भक्ति, साधु-संतों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय है।
विशेष तिथि:
माघ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मन्वंतर तिथि कहा जाता है, इस दिन किए गए दान का फल अक्षय होता है।