ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
वैदिक पंचांग
दिनांक – 02 फरवरी 2025
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत – 1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर ॠतु
मास – माघ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी (दोपहर के पहले 11:53 तक, तत्पश्चात पंचमी)
नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद (रात्रि 3:40 तक, तत्पश्चात रेवती)
योग – शिव (दोपहर 12:05 तक, तत्पश्चात सिद्ध)
राहुकाल – शाम 04:30 से शाम 06:00 तक
सूर्योदय – 06:33 पर
सूर्यास्त – 5:27 पर
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – विनायक की गणेश चतुर्थी
विशेष – चतुर्थी का व्रत
विशेष महत्व
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
04 फरवरी को होने वाले सूर्य ग्रहण का महत्व
माघ शुक्ल सप्तमी
04 फरवरी 2025 मंगलवार को माघ शुक्ल सप्तमी है। इस दिन को अचला सप्तमी, रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क सप्तमी आदि नामों से जाना जाता है और इसे सूर्य की उपासना के लिए बहुत शुभ दिन माना गया है। इस दिन संतान सप्तमी का व्रत भी किया जाता है, जो पुत्र प्राप्ति, पुत्र रक्षा और पुत्र अभ्युदय के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, जिस दिन भगवान सूर्य रथ पर आरूढ़ हुए, वह माघ शुक्ल सप्तमी है। इस दिन दान, यज्ञ, और पूजा सब अक्षय फल देने वाले होते हैं और यह दरिद्रता को दूर करने वाला और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर होता है। भविष्य पुराण में उल्लेखित है कि सूर्य का अवतरण सप्तमी तिथि को हुआ था। इस दिन विशेष रूप से सूर्य को उपासना और पूजा करना अत्यधिक पुण्य देने वाला होता है। इस दिन सूर्य देव का पूजन करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और उपासक को संतान सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अग्नि पुराण में माघ शुक्ल सप्तमी का महत्व
अग्नि पुराण के अनुसार माघ शुक्ल सप्तमी को भगवान सूर्य का पूजन अष्टदल अथवा द्वादशदल कमल से करना चाहिए। इस पूजन से मनुष्य शोक, दुख और दरिद्रता से मुक्त होता है। चंद्रिका में लिखा है कि माघ शुक्ल सप्तमी, सूर्यग्रहण के समान पुण्य फल देने वाली होती है। इस दिन सूर्योदय के समय स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है और जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और मनुष्य को आयु, आरोग्य और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है I