ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र
दिनांक: 28 जनवरी 2025, मंगलवार
विक्रम संवत: 2081
शक संवत: 1946
अयन: उत्तरायण
ऋतु: शिशिर ॠतु
मास: माघ
पक्ष: कृष्ण
तिथि: चतुर्दशी शाम 07:10 तक, तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र: पूर्वाषाढा सुबह 08:33 तक, तत्पश्चात उत्तराषाढा
योग: वज्र रात्रि 12:15 तक, तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल: शाम 03:00 से शाम 04:30 तक
सूर्योदय: 06:36
सूर्यास्त: 05:24
दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण:
विशेष:
चतुर्दशी का दिन और अमावस्या आज पूरी रात्रि और कल पूरा दिन विशेष महत्व रखता है।
व्यतिपात योग:
29 जनवरी 2025, बुधवार को रात्रि 09:22 से 30 जनवरी शाम 06:33 तक व्यतिपात योग रहेगा। इस समय जप, पाठ, प्राणायाम या मानसिक जप करने से भगवान सूर्यनारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस योग में किए गए कर्मों का फल 1 लाख गुना बढ़ जाता है। यह विवरण वाराह पुराण में उल्लेखित है।
माघ-मौनी अमावस्या:
29 जनवरी 2025, बुधवार को माघ मास की मौनी अमावस्या है। इस दिन विशेष रूप से मौन व्रत करना चाहिए।
मौन धारण करके प्रयाग संगम या पवित्र नदी में स्नान करना अत्यधिक पुण्यकारी होता है। इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देना और पितृ तर्पण करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
माघ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ब्रह्मा जी ने स्वयंभुव मनु को उत्पन्न कर सृष्टि की रचना शुरू की थी। इस दिन तिल और जल से पितरों का तर्पण करने से स्वर्ग में अक्षय सुख की प्राप्ति होती है।
पद्म पुराण में कहा गया है कि इस दिन दान करने से सात जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं।
ब्राह्मणों को भोजन कराना, तिल, गुड़, चोकर और अन्य द्रव्य दान करना इस दिन का मुख्य कृत्य है।
अन्य उपाय और व्रत:
- जो व्यक्ति गंगा स्नान के लिए जा रहे हैं, वे तर्पण के अलावा विशेष पूजा विधि करें।
- तिल, घी, गुड़ और चावल से पितरों का पूजन करना और उनका तर्पण करना अत्यधिक फलदायक होता है।
- माघी अमावस्या पर यदि व्रत करना संभव नहीं हो, तो मीठा भोजन करना शुभ माना जाता है।
- इस दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराना भी विशेष महत्व रखता है।
ध्यान देने योग्य बातें:
- जो व्यक्ति इस दिन पितृ कर्म करते हैं, उन्हें विशेष रूप से लाभ होता है।
- इस दिन गंगा तट पर पिण्डदान से पितरों का उद्धार होता है।
- व्यतिपात योग में किए गए कार्यों का फल अत्यधिक बढ़ जाता है।
“दशतीर्थसहस्राणि तिस्रः कोटयस्तथा पराः समागच्छन्ति मध्यां तु प्रयागे भरतर्षभ। माघमासं प्रयागे तु नियतः संशितव्रतः स्नात्वा तु भरतश्रेष्ठ निर्मलः…”
माघ मास की अमावस्या पर प्रयाग राज में तीन करोड़ दस हजार तीर्थों का समागम होता है, जो माघ में प्रयाग में स्नान करता है, वह पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में जाता है।