ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
दिनांक – 10 नवम्बर 2024
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत –1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी सायं 04:44 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – धनिष्ठा सुबह 07:52 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – ध्रुव रात्रि 11:32 तक तत्पश्चात व्याघात
राहुकाल – शाम 04:30 से शाम 06:00 तक
सूर्योदय 06:33
सूर्यास्त – 5:27
दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
व्रत पर्व विवरण – अक्षय- नवमी,पंचक
विशेष – नवमी
एकादशी के दिन करने योग्य
11 नवम्बर 2024 सोमवार को दोपहर 02:40 से 12 नवम्बर 2024 मंगलवार को दोपहर 12:26 तक एकादशी है।
विशेष – 12 नवम्बर, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें I विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु विशेष आरती
12 नवम्बर 2024 मंगलवार को देवउठी एकादशी कपूर आरती ।
देवउठी एकादशी देव-जगी एकादशी के दिन को संध्या के समय कपूर आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है; एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है l
भीष्म पंचक व्रत
11 नवम्बर 2024 सोमवार से 15 नवम्बर 2024 शुक्रवार तक भीष्म पंचक व्रत है । कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत ‘भीष्म-पंचक व्रत’ कहलाता है l जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है l यह महापुण्य-मय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है l
कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्मजी ने जल कि याचना कि थी l तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी कि धार निकली और भीष्मजी के मुंह में आयी l उनकी प्यास मिटी और तन-मन-प्राण संतुष्ट हुए l इसलिए इस दिन को भगवान् श्री कृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा कि ‘आज से लेकर पूर्णिमा तक जो अर्घ्यदान से भीष्मजी को तृप्त करेगा और इस भीष्मपंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी l