पूजा में मोदक, गुड़ से बने तिल के लड्डू का नैवेद्य किया जाता है अर्पण
डॉ उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : आज 17 जनवरी 2025, शुक्रवार को माघ कृष्ण चतुर्थी, संकट चौथ, संकष्टी चतुर्थी का पर्व है। इस चतुर्थी को ‘माघी कृष्ण चतुर्थी’, ‘तिलचौथ’, ‘वक्रतुण्डी चतुर्थी’ भी कहा जाता है।आज के दिन गणेश भगवान और संकट माता की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है ‘कष्ट या विपत्ति’, जिसका तात्पर्य क्लेश से है, और यह सम का संकेतक है। आज के दिन व्रत रखा जाता है, जिसका उद्देश्य किसी भी प्रकार के संकट और कष्ट का निवारण है। इस व्रत का आरंभ इस प्रकार संकल्प करके किया जाता है: “गणपतिप्रीतये संकष्टचतुर्थीव्रतं करिष्ये।” सायंकाल में गणेश जी और चंद्रोदय के समय चंद्रमा का पूजन करके अर्घ्य दें।
“गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धि प्रदायक। संकष्टहर में देव गृहाणर्धं नमोस्तुते।
कृष्णपक्षे चतुर्थ्यां तु सम्पूजित विधूदये।
क्षिप्रं प्रसीद देवेश गृहार्धं नमोस्तुते।”
नारदपुराण के अनुसार
माघ कृष्ण चतुर्थी पर संकष्टव्रत का पालन किया जाता है। इस व्रत में उपवास करके व्रती नियमपूर्वक चंद्रोदय तक रहते हैं और चंद्रोदय के बाद मिट्टी की गणेश मूर्ति स्थापित करके उनका पूजन करते हैं। पूजा में मोदक, गुड़ से बने तिल के लड्डू का नैवेद्य अर्पण किया जाता है। इसके बाद तांबे के पात्र में लाल चंदन, कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, शमीपत्र, दधि और जल एकत्र करके चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक।
इस प्रकार गणेश जी को दिव्य और पापनाशक अर्घ्य देकर उत्तम ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और फिर स्वयं भी भोजन करें। इस व्रत का पालन करने से मनुष्य धन-धान्य से संपन्न होता है और कभी भी कष्ट में नहीं पड़ता। लक्ष्मीनारायणसंहिता में भी माघ कृष्ण चतुर्थी के संकष्टव्रत का वर्णन मिलता है। इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी के व्रत का पालन करने से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति मिलती है और उसकी समृद्धि में वृद्धि होती है
“माघ कृष्ण चतुर्थ्यां तु संकष्टहारकं व्रतम्।
उपवासं प्रकुर्वीत वीक्ष्य चंद्रोदयं ततः।”
आज के दिन क्या करें:
- गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ अत्यंत शुभकारी होगा।
- गणेश भगवान को दूध, पंचामृत, गंगाजल से स्नान कराकर, पुष्प, वस्त्र आदि समर्पित करके तिल और गुड़ के लड्डू, दूर्वा का भोग अर्पित करें। लड्डू की संख्या 11 या 21 रखें।
- गणेश जी के 12 नाम, 21 नाम, या 101 नाम से पूजा करें।
- शिव पुराण के अनुसार, कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर की गई महागणपति पूजा पापों का नाश करती है और उत्तम भोग देती है।
- किसी भी समस्या के समाधान के लिए आज संकट नाशन गणेश स्तोत्र के 11 पाठ करें।